खामोश रहूं या बोल दूं
कभी खामोशी ही जरूरी होती है और कभी-कभी न बोलना शिकायतों को जन्म देता है। यह चुन पाना कि कब बोलना है और कब खामोश रहना है, आपकी समझदारी और परिपक्वता दर्शाता है। कलमकार अनिरूद्ध तिवारी अपनी कविता में इसी…
0 Comments
February 13, 2019