कुछ तुम कहो कुछ हम कहें
कलमकार रज़ा इलाही के अनुसार कुछ तुम कहो कुछ हम कहें- इससे किसी भी प्रकार की गलतफहमी नहीं रहेगी और आपस में प्रेम पनपता रहेगा। चाहतों को एक नया मोड़ दें वादों को एक नया हर्फ़ दें दिल की सदाओं…
कलमकार रज़ा इलाही के अनुसार कुछ तुम कहो कुछ हम कहें- इससे किसी भी प्रकार की गलतफहमी नहीं रहेगी और आपस में प्रेम पनपता रहेगा। चाहतों को एक नया मोड़ दें वादों को एक नया हर्फ़ दें दिल की सदाओं…
दोस्त और प्यार में किसी एक का चयन करना मुश्किल जरूर होता है लेकिन यदि थोड़ा सोच विचार कर किसी निर्णय पर पहुंचे तो आसान होता है। समीक्षा सिंह ने कलमकार आशीष तिवारी की एक रचना साझा की है जिसकी…
प्रेम को अनुभव कर पाना आवश्यक है। अधिकांशतः लोग इसे महसूस करने के लिए सुनना/जताना पसंद करते हैं, जिसमें वे अतिशयोक्तियों की एक बड़ी श्रृंखला प्रस्तुत किया करते हैं। अमित मिश्र ने प्यार में किए जाने वाले कुछ वादों की…
आज के समय में पेड़ हमारे लिए कितने महत्तवपूर्ण हैं यह बात किसी से हुई नहीं है। वृक्ष काटे जा रहें हैं जिसका हर्जाना हम सभी किसी न किसी रूप मे भुगत रहे हैं। प्रकृति से छेड़छाड़ इंसान को भारी…
खेम चन्द ने अपने कुछ खयालात इस कविता में जाहिर किए हैं। रातों से बात करने का मंजर पेश किया है, आप भी पढें उनकी लिखी गई कविता - 'रातें तुम्हारी बातें'। गुजरती नहीं है ये रातें मैं तो यूं…
भीड़ हो या तनहाई, जब मन उदास होता है तो हर जगह अकेलेपन का अनुभव होता है। और यह अकेलापन किसी को काटने को दौड़ता है तो कोई इसे पसंद भी करता है। कुमार किशन कीर्ती ने भी अपने विचार…
यादें तो किसी भी पल आप को भावुक बना देंगी, इनका कोई भरोसा नहीं है कि ये कब आपको अपनी गिरफ्त में ले लें। अमित मिश्र ने इसी दशा को संबोधित करते हुए चंद पंक्तियाँ लिखी हैं- "तेरी याद आई…
गुनाहगार न होते हुए भी कभी-कभी हमपर लोगों द्वारा आरोप लगा दिए जाते हैं। ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति की मनोदशा क्या होती है - यह कलमकार खेम चन्द जी अपनी कविता 'वो काली रात- झुठ' में बखूबी लिखते हैं। कर…
जब आप सफलता के बहुत करीब हों और एक किसी कारणवश सफल न हों पाएँ, तब उस कमी पता चलता जो बाधक बनी और एक तरह से पछतावा सा होने लगता है। साकेत हिन्द की इन पंक्तियों में इसी मंज़र…
जब हम गर्मी की तपन से खीझ उठते हैं तो बारिश का माहौल बनाते काले बादलों का बेसब्री से इंतजार रहता है। काले बादल आएंगे- यह आश्वासन कवि मुकेश अमन अपनी कविता में दे रहे हैं। आसमान में काले बादल,…
कलमकार खेम चन्द ने आज अपनी एक रचना ‘नफ़रतों के मीनार’ प्रस्तुत की है। रिश्तों में गलतफहमियां अक्सर दूरी/ नफरत का कारण बन जाती हैं। नफरतों के मीनार बनाते रहे उसने लूटी महोब्बत और हम लुटाते रहे। कभी मिलेगी खुशी…
नियमित पाठक निशा पाण्डेय ने यह कलमकार की रचना साझा कर बताया है- "उम्र भर चोट सहना न आसान है: यह कविता मेरी रचना नहीं है, इसे मैंने एक विद्यालय की किसी पत्रिका में पढ़ा था। इसके रचयिता का नाम…
कई मौकों पर हम खामोशी का परिचय देते हैं और दूसरे ऐसी परिस्थितियों का लाभ उठा लेते हैं। यह खामोशी न जाने क्या-क्या कहना चाहती है, कुछ भाव कलमकार भवदीप ने दर्शायें हैं।
यादें बरसात बन कर निकल जाती हैं,
वो छाता लेकर खड़ी हो जाती है।
झूठ बोल कर भी वो इतराती है,
सच से उसकी जबान हकलाती है।।समझता रहा जिसे सकूँन दिल का,
वो ही खंजर दिल पर चलाती है।
मेरी खामोशियाँ को ना समझ पाती हैं,
हालात पर मेरे खूब मुस्कुराती है।।पहले मुझे अपना आदि कर दिया,
अब मजबूरी बता दूर चली जाती है।
मौजूद जिसके लिये हर पल रहा,
उसके पास ना एक पल मेरे लिये रहा।।जिसको मैने पूनम का चांद कहा,
उसने ज़िन्दगी को मेरी अमावस किया।
मेरी खामोशियाँ को ना समझ पाती हैं,
हालात पर मेरे खूब मुस्कुराती है।।–
~ भवदीप सैनी
सपनों की कोई सीमा नहीं होती है, वे तो खुले आसमान की तरह अनंत हैं और सपने देखने का अधिकार तो सभी को है चाहे लड़की हो या लड़का। कोई अपने सपने पूरे करने की दिशा में बढ़ रहा तो…
संसार में अपने बहुत सारे शुभचिंतक प्रतीत होते हैं किंतु, उनमें से मतलबी लोगों की पहचान कर पाना मुश्किल होता है। अमित मिश्र भी इसी दुविधा को बयां करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखते हैं- कोई नहीं यहाँ है अपना कोई…
इस दुनिया में सबसे सुंदर रिश्ता होता है माँ का बाकी सारे रिश्ते स्वार्थ से लिप्त होते हैं। बस एक माँ ही है जो बिना किसी स्वार्थ के अपना प्रेम बरसाती है। समीक्षा सिंह ने 'मेरी माँ' कविता में माँ…
जीवन में पिता का योगदान कोई भी संतान नहीं भूल पाती है। कुमार किशन कीर्ति ने पिता के लिए कुछ भावुक पंक्तियाँ लिखी हैं, आप भी पढें। पिता के बारें में क्या लिखूँ? बस इतना ही जानता हूँ मैं ईश्वर…
आजकल सचमुच रिश्तों में दूरियां बढ़ रही हैं। खेम चन्द अपनी कविता के माध्यम से सोशल मीडिया का रिश्तों पर बढ़ते प्रभावों को रेखांकित करने का प्रयास किया है। गुजर गया ना जाने कब वो एक चिठ्ठी-पत्रों का जमाना हर…
दशहरे के पावन पर्व पर अभिनेता आयुष्मान खुराना ने एक सुंदर कविता प्रस्तुत की थी जिसे सोशल मीडिया पर प्रसंशकों ने खूब सराहा है। आयुष्मान ने अनेक कविताओं की रचना की है, उन्हीं में से एक है- मुखौटे। चेहरे ये…
बच्चे मन के सच्चे- यह कहावत बिल्कल सही है। बच्चों के हृदय निर्मल, निश्छल और मासूम होते हैं, कवि मुकेश अमन से उनकी मासूमियत के बारे में और अधिक जानें। बच्चों के मन के, भीतर क्या किसने देखा, किसने जाना। सब…