सुबह लगे सोनाली सी

हर दिन शुभ होता है, हमें आज से बेहतर दूसरा कोई दिन न मिलेगा। दिन की शुरुआत सुबह से होती है और जब सुबह खूबसूरत लगे तो पूरा वातावरण मनभावक लगता है। कलमकार रागिनी स्वर्णकार शर्मा के अनुसार सुबह सोनाली…

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बहन- अंशुल का हँसता चेहरा

भाई-बहन का रिश्ता बहुत ही प्यारा होता है, जिसमें नादानियां, नटखट शरारतें और ढेर सारा प्रेम शामिल होता है। ऐसे में यदि बहन हमसे दूर चली जाए तो उसकी कमी से होनेवाला दर्द कभी मिट नहीं पाता। कलमकार खेम चन्द…

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पिंकी के पापा- बालगीत

बच्चों को भी गीत बहुत पसंद होते हैं और गा कर बताई जाने वाली बातों को वे बड़ी जल्दी ग्रहण करते हैं। कलमकार शुभम द्विवेदी ने मजाकिया अंदाज में एक बालगीत प्रस्तुत किया है जिसे आप अवश्य पसंद करेंगे। देखों…

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मेरा प्यारा हिंदुस्तान

नायाब बलियावी जी अपने देश के प्रति एक कविता में स्वयं के विचारों को प्रस्तुत करते हुए कहते हैं- मेरा प्यारा हिंदुस्तान। योरप से कश्मीर की वादी अरब सा राजस्थान भारत तेरे दामन में हर मौसम का वरदान कहीं पर…

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करवाचौथ

पुरुष शायद ही किसी व्रत का पालन करतें हों लेकिन भारतीय महिलाएं अनेकों व्रत का पालन करतीं हैं, वह भी पति और बच्चों की कुशलता के लिए; अपने लिए नहीं। कलमकार खेम चन्द ने करवा-चौथ व्रत पर चंद पंक्तियाँ लिखी…

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तस्वीरों में यादों

नीरज त्यागी बताते हैं कि यादें किस तरह हमारा पीछा करतीं हैं, कोई भी इन यादों से दूरी नहीं बना सकता है। हमसे जुड़ी हुई हर चीज़ की अलग-अलग यादें किसी भी पल उभर कर सामने आ जाया करती हैं।…

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पत्रकार

हम सभी के जीवन में पत्रकार एक बड़ी भूमिका निभाते हैं। कलमकार कुमार किशन कीर्ति ने अपनी पंक्तियों में पत्रकार की अहमियत को बताया है। समाज और देश के नायक हैं पत्रकार हमें देश-दुनिया की खबरों से अवगत कराते हैं…

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रस्म जमाने की

इस दुनिया में हम लोगों ने तरह तरह की रस्में बनाकर रखीं हैं, जो लोगों कष्ट भी देतीं हैं। ढोंग और  प्रताड़ित करनेवाली इन रस्मों को त्याग देना चाहिए जो मानवता की राह में एक बड़ा कदम हो सकता है।…

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कुटुंब

हमारे भीतर कई विचार और कल्पनाएं जन्म लेतीं रहती हैं। एक कवि इन्ही से प्रेरित होकर कविता को आकार देता है, ये विचार ही उस कविता का परिवार होती हैं। कलमकार शहंशाह गुप्ता ने इसी तरह का भाव अपनी रचना…

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भरोसा कैसे करें

कभी-कभी हमें ऐसे धोखों का सामना करना पड़ता है जो अपने लोगों ने ही दिए होते हैं। ऐसी परिस्थिति में किसी पर भी विश्वास करना मुश्किल लगता है। इस स्थिति को कलमकार शुभम ने अपनी कविता में जताते हुए लिखा…

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मेरा रूख़स्त हो जाना [अर्थी]

यह दुनिया तो कुछ दिनों का बसेरा है, और अंततः सभी को प्रस्थान करना ही है। कलमकार खेम चन्द अंत समय की परिकल्पना करते हुए कुछ पंक्तियाँ लिखते हुए उस माहौल का वर्णन करते हैं। निकलेगा जनाज़ा मेरा जब रुकेगी…

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शीरीं ज़बाँ

मीठे बोल हर किसी का मन मोह लेते हैं। रज़ा इलाही ने इन पंक्तियों में उर्दू को हिंदी की बहन बताते हुए कहा है कि यह बहुत ही मीठी जुबान है। भाषा कोई भी हो लेकिन हमें सदैव मीठी बोली…

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भारतीय नारी

खेम चन्द लिखते हैं कि आज भी हमारे समाज में औरतों को वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वे हकदार हैं। हम भले ही आधुनिकता का चोला ओढ़ लें, किंतु कहीं न कहीं एक कसर बाकी है। बदलाव लाने…

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माँ की वंदना

आस्था ही हमारे हृदय में श्रद्धा का संचार करती है। श्रद्धा के कारण ही अपने दुखों के निवारण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। अमित मिश्र ने माँ की वंदना में एक भजन प्रस्तुत किया है और आशा की…

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छात्र मनोव्यथा

छात्र जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना कर हमें अध्ययन करना पड़ता है। यहीं अनुशासन सीखा जाता है जो जीवन भर आप के साथ रहता है। चित्रकूट से शुभम ने अपना अनुभव इन पंक्तियों के सहारे साझा किया है। मेरी…

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राजनीति हिन्दोस्तान की-आम समस्या

आम जनता की अनेकों समस्याएँ होती हैं, उनमें से सभी का समाधान आसानी से हो जाए तो कुछ शिकायत ही न हो। उन समस्याओं को हल करने के बजाय राजनीति होती है जो अत्यंत दुखद है। खेम चन्द ने राजनीति…

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हमारे वीर सैनिक

सीमा पर डटकर सामना करने वाले हमारे सैनिकों की महानता को शब्दों में बयां कर पाना संभव न होगा। कलमकार कुमार किशन कीर्ति ने अपनी कविता में एक छोटी सी कोशिश की है, आशा है कि आपको पसंद आएगी। देश…

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नारी

आजकल स्त्री-पुरुष में समानता का भाव दर्शाया जाता है और यह जो आवश्यक भी है। परंतु पुरूष-प्रधान समाज में क्या हर इंसान इस मत से सहमत है? खेम चन्द द्वारा लिखी हुई यह कविता नारियों के प्रति आदर, सम्मान और…

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आज का पत्रकार

पत्रकारिता एक सम्मानीय, प्रतिष्ठित पेशा है और पत्रकार निष्पक्ष ही होते हैं। जनसाधारण के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना हर पत्रकार का दायित्व है। नीरज त्यागी ने अपनी कविता में 'आज का पत्रकार' में अपना विचार व्यक्त किया…

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कैसा ये समाज (हालात-ए-बेटियाँ)

समाज का बेटियों के प्रति कुरीतियों से जुड़ा व्यवहार आदर्श नहीं माना जा सकता है। हालांकि आज बहुत से परिवर्तन हुए हैं और पूरानी रूढियों को मिटाने की कोशिश की जा रही है। कभी-कभी कोई घटना, दुर्व्यवहार उन्हें आहत करतीं…

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