क्या करें

असमंजस की स्थिति में कभी-कभी सूझता ही नहीं कि क्या करें। हर इंसान ने ऐसी परिस्थितियां देखी हैं जब दिल का कहा मानना उचित होता है किंतु दिमाग गवाही नहीं देता है। कलमकार इरफान आब्दी मांटवी गाजीपुरी अपनी कविता में…

0 Comments

समय की कीमत

कलमकार राहुल प्रजापति की चंद पंक्तियाँ पढें। वक्त बहुत बड़ी सीख दे जाया करता है। समय की कीमत जानना और उसका सदुपयोग करना हमारा कर्तव्य है, और यही कार्य सफलता की राहें आसान बनाता है। समय की कीमत मालूम तो…

0 Comments

ज़रा याद करें

दकियानूसी विचारधाराओं और परंपराओं को अब समाप्त करना चाहिए। कलमकार विजय डोगरा लिखते हैं कि एक आदर्श समाज के निर्माण हेतु हमें अपने पूर्वजों के त्याग और उपलब्धियों को एक बार याद करना बेहद जरूरी है। आओ मिलकर विचारों की…

0 Comments

ताउम्र साथ नहीं छोड़ेगा

प्रियजन की नाराजगी, अनबन हमारे मन को दुख और ठेस पहुंचाती है। हम उसे और उन लम्हों को भूल भी नहीं पाते हैं। कलमकार भवदीप सैनी इन हालातों पर लिखते हैं कि सारी उम्र हम उनके साथ इसी तरह जुड़े…

0 Comments

अहिंसा के पुजारी

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर बापू के स्मरण में कुछ पंक्तियाँ सूबेदार रावत गर्ग उण्डू 'राज' ने लिखी है। बापू के जीवन से हम सभी को अनेक प्रकार की अच्छी सीख मिलती है, जिसे अपनाने में विलंब नहीं करना…

0 Comments

जिंदगी

जिंदगी की परिभाषा क्या है? हर इंसान अपने अनुभव से इसे परिभाषित करने का प्रयास करता है, सबके अलग अलग मायने होते हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने भी जिंदगी का अर्थ बताने की कोशिश की है। जिंदगी प्रेम…

0 Comments

तू जो मुस्कुराई तो मैं भी मुस्कुराउंगा

यदि कोई मुस्कराकर आपसे मिले तो आप भी मुस्कान के साथ ही उसका स्वागत करते हैं। मुस्कान ही मुस्कान को आमंत्रित करती है। कलमकार अमित मिश्र की यह रचना पढें जिसमें मुस्कुराहट का वर्णन है। आप भी हमेशा मुस्कराते रहिए।…

0 Comments

उल्लास और उमंग का पर्व है बसंत पंचमी

भारत मे बसंत पंचमी का त्यौहार माघ शुक्ल पंचमी को बड़े उत्साह और उमंग से मनाया जाता है।बसंत पंचमी पर्व भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। बसंत पंचमी से बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत ऋतु में…

0 Comments

किसान हूँ

कलमकार चुन्नी लाल ठाकुर ने किसानों की रोजमर्रा की समस्याओं को अपनी कविता में बताने का प्रयास किया है। किसान होना तो गर्व की बात होनी चाहिये क्योंकि उन्हीं की मेहनत से विश्व में अन्न की भरमार है। ऐसे अन्नदाता…

0 Comments

जन्म दिवस का हर्ष आज है

कलमकार विजय प्रकाश कनौजिया को जन्मदिन (२७ जनवरी) की बधाई और शुभकामनाएं। 'जन्म दिवस का हर्ष आज है' उनकी यह कविता पढ़ें। जन्म दिवस का हर्ष आज है अपनों का स्पर्श आज है जीवन का जो भी पल बीता उसका…

0 Comments

अनायास

कभी-कभी कई सारी चीजें अनायास ही घटित हो जातीं हैं। सपने में हम बहुत कुछ अनायास ही देख लिया करते हैं। कलमकार स्वाति बर्णवाल ने अपनी कविता में इसका जिक्र किया है। सपनों में जब भी तुम आते हो तुम्हारे…

0 Comments

एक रहस्य

कलमकार ओटेरी सेल्वाकुमार की रचना- एक रहस्य। हमारे आस-पास अनेक घटनाएं जनसामान्य के साथ घटित हो जातीं हैं और कुछ एक घटना रहस्यमय ढंग से सभी को अचंभित/भयभीत कर देती हैं। एकमात्र शोर उस शोर में किसी को भी कमाओ…

0 Comments

लहराओ तिरंगा

कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने चंद स्वरचित पंक्तियाँ भारतीय गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में 'लहराओ तिरंगा' कविता में लिखी और हम सभी को इस महापर्व की शुभकामनाएं दी हैं। लहराओ तिरंगा प्यारा प्यारा। कि देश हमारा गणतंत्र हुआ है।…

0 Comments

गणतंत्र दिवस

कलमकार खेम चन्द ने भी आज गणतंत्र दिवस के सुअवसर यह कविता साझा की है। एक बार फिर से गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई। वक्त लगा था वक्त को वक्त बनाने में देश को राजतन्त्र से गणतन्त्र बनाने में॥ वक्त…

0 Comments

फिर ये पर्व मनाना है

कलमकार विजय कनौजिया की गणतंत्र दिवस पर्व पर एक विशेष रचना- फिर ये पर्व मनाना है। आओ साथ हमें फिर मिलकर उत्सव का पर्व मनाना है गणतंत्र दिवस का हर्ष आज है ये सबको बतलाना है..।।भारत का सम्मान आज फिर…

Comments Off on फिर ये पर्व मनाना है

गणतंत्र

कलमकार पंकज भूषण पाठक "प्रियम" ने भी गणतंत्र दिवस की शुभकामना के साथ यह कविता साझा की है। आया दिवस गणतंत्र है अपना देश स्वतंत्र है। फिर तिरंगा लहराएगा राग विकास दोहराएगा देश अपना स्वतंत्र है आया दिवस गणतंत्र है।…

0 Comments

लहराओ तिरंगा प्यारा

७१वाँ गणतंत्र दिवस तिरंगा लहराकर मनाएं। कलमकार राजेश पुरोहित की यह कविता पढें जो विशेष रूप से गणतंत्र दिवस पर्व के लिए लिखी गई है। मुल्क अपना हिन्दुस्तान न्यारा शान से लहराओ तिरंगा प्यारा कौमी एकता की मिसाल बने ये…

0 Comments

हम हो जाते बलिदान

गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं। कलमकार लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव लिखते हैं कि भारत माता के सम्मान में भारतवासी बलिदान हो जाते हैं। हमारे प्यारे मातृभूमि की, बनी रहे आन, बान, शान। हम भारतवासी हो जाते हैं, हँसते हँसते हुए बलिदान।।…

0 Comments

लिखना जरूरी क्यों है?

एक साहित्यकार के जीवन में लिखना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।एक साहित्यकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि समाज में हो रहे अपराध, देश की व्यवस्था,आस पास का वातावरण और अन्य महत्पूर्ण बातों को अपने शब्दों में लिखें और समाज…

1 Comment

राष्ट्रहित के लिए समर्पित

सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। कलमकार निक्की शर्मा ने इस पर्व पर अपनी कविता के माध्यम से हम सभी से अपने विचार व्यक्त कर रहीं हैं। राष्ट्रहित के लिए समर्पित, जो अपना तन मन करता है। जन्म…

0 Comments