करोना और हालात
हर तरफ आदमी का रोना है हम पे हावी अभी कोरोना है ज़िन्दगी के सफ़ेद धागों में मोतियां सब्र की पिरोना है फ़िक्र उनकी भी कीजिए थोड़ा जिनका फुटपाथ ही बिछौना है इतने आंसू बहा दिए हम ने खुश्क आंखों…
हर तरफ आदमी का रोना है हम पे हावी अभी कोरोना है ज़िन्दगी के सफ़ेद धागों में मोतियां सब्र की पिरोना है फ़िक्र उनकी भी कीजिए थोड़ा जिनका फुटपाथ ही बिछौना है इतने आंसू बहा दिए हम ने खुश्क आंखों…
आया-आया कोरोना आया डर-दहशत का साम्राज्य लाया आओ साथी हो जायें सजग सावधान बचायें स्वयं की परिवार-समाज की जान घरों में छिपकर बैठ जायें काम हो बहुत जरूरी तभी बाहर आयें हाथ धोएं बार-बार कई बार मलमल कोरोना से बचने…
आज समस्त विश्व को सहयोग की परमावश्यकता है लोगों के सहयोग की. इस विश्व विपदा की घड़ी में सहयोग की मानवता को बचाने में सहायक होगी. यह युद्ध अब वैश्विक हो चला है, इसके तौर तरीके बदल गये हैं. अब…
कुछ समय देश सेवा में दान करो न मन्दिरों में दान करो न मस्जिदों में दान करो न चर्च में दान करो न गुरुद्वारे में दान करो । अगर दान ही करना है तो कुछ सप्ताह का समय अपने घरों में रहकर वो समय देश सेवा में दान करो। कोरोना को हराने में सामाजिक…
कलमकार सुधांशु रघुवंशी ने कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत की हैं जो जिंदगी के किसी छोर की सच्चाई बता रही हैं आइए उनके मुक्तक व विचारों को पढ़ें। वियोग की पीड़ा से परिचित नहीं फेंकते बहती नदी में कंकड़ उन्हें भय होता…
गोपेंद्र कुमार गौतम जी की यह कविता पढें जो स्त्रियों की समर्थता और कुछ सवाल जताती है। वास्तव में गुण और कौशल में भी नारी किसी से कम नहीं है। मैं ही जगत जननी, मानवता की मां मैं, मैं ही…
सूझबूझ से लड़ना होगा हमें मिलकर इस बिमारी से लाॅकडाऊन में बिना किसी कारण से बाहर न निकलें चारदीवारी से वैश्विक पटल पर भंयकर छाया है "कोरोना" का कोहराम सभी से विनती है घर पर ही करना होगा आराम न…
आज मैंने धरा पर भगवान को विचरण करते देखा ईश्वर के वेश में इन्सान को गमन करते देखा आज परमेश्वर डॉक्टर के वेश में वसुधा पर आया है संग अपने जिंदगी की सौगात लाया है जब जब मौत ने भू…
सभी की परिवार के प्रति जिम्मेदारी रहती है, यदि उन्हें निभा लें तो हम धन्य हैं। माता-पिता के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है अतः उनके प्रति खास जिम्मेदारी होती है। कलमकार निहारिका चौधरी कहतीं हैं कि माता-पिता…
कलमकार पूजा कुमारी बाल्मीकि लिखतीं हैं कि महिला एक प्रेरणा है। हमारे सामने कई उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि महिलाएं हर क्षेत्र कामयाबी के शिखर पर हैं और उनसे हमें सीख लेने की जरुरत है। महिला आज…
कलमकार अजय प्रसाद जी कहते हैं कि हम तो सीधी सरल भाषा में लिखते हैं परंतु यह हो सकता है कि किसी को बेअदबी सी महसूस हो जाए। हाँ! सही कहा आपने अदिबों की नज़र में 'बेअदब' हूँ मैं ।…
त्याग का पर्याय प्रतीक शौर्य का पुरुषों में उत्तम संहर्ता क्रौर्य का परहित प्रियता भ्राताओं में ज्येष्ठ कर्तव्य परायण नृप सर्वश्रेष्ठ शरणागत वत्सल हैं आश्रयदाता दशरथ नंदन भाग्य विधाता भजे मुख मेरा तेरा ही नाम जय सिया राम जय श्री…
आए नवरात्रे तेरे शेरावालिये, आए नवरात्रे तेरे महाकालिये। जहां घर-घर में तेरी ज्योति प्रकाश करती हैं , वहां आज कोरोना की महामारी हाहाकार मची है। जहां मंदिरों में बैठकर मां तेरे भजन गाए जाते हैं, आज उन मंदिरों के द्वार…
जन्म लिया प्रभु ने धरती पर तो यह धरती बनी सुख धाम, गर्व है, हम उस मिट्टी में खेले जहां अवतरित हुए प्रभु राम। राम नाम में सृष्टि है समाहित इस नाम में बसे हैं चारों धाम, हर संकट को…
हे जगत के महावीर स्वामी, तू सदा कल्याण कर चर अचर सकल जगत का, तू महा कल्याण कर हे दशरथ सुत! तेरे चरण को पखार कर प्रणाम है तू धरा का तेज़ मानस, कण कण में बसा नाम है साहस…
अखिल ब्रह्मांड के नायक, मानव में है उत्तम । कार्य सब मर्यादित किए, कहलाए पुरुषोत्तम।। अभिनय एक से अनेक है, पुत्र शिष्य रणधीर । चैत्र शुक्ल नवमी तिथि को, जन्म लिए रघुवीर।। पितु आज्ञा किए शिरोधार्य, किए गमन भू तारी।…
है अद्भुत तेरी लीला प्यारी, जनता सुख, त्यागे सुकुमारी, सीता बिछड़े न राजधर्म, प्रभु शरण है दुनिया सारी, वन को जाय न अकुलानी, महल बिसराय हे कृपानिधानी, वन का राज सहज स्वीकारा, मुख पर सूरज तेज़ स्व-अभिमानी, विचरण कर वन…
ऐश्वर्य की आस में बस गए जो देश परदेस, आपत्त काल में याद आया उन्हें निज देश। मजबूरी ले गयी जिन्हें अपनी माटी से दूर कोरोना के खौफ से घर चलने को मजबूर। खाली हाथ आए घर से काम की…
कोरोना के कहर से कांप उठा संसार अब भी संभल जाओ दुनिया के लोगो, वर्ना चारो और मच जाएगा हाहाकार। देशभक्ति की बाते करते-करते जो कभी नही थकते, वही किसी के समझाने पर अपने घर क्यों नही रुकते। प्रशासन को…
अस्वमेध को राहु ने घेरा सबके मन में संशय का डेरा विचलित है क्यों आज पथिक मन यह दृश्य भयावह घोर अंधेरा असमंजस की कैसी दशा यह कैसा है यह सुप्तावस्था व्याकुलता सबकी व्याकुल होकर कर रही पार अब परम…