कोरोना वायरस से सीखें जीवन के बहुमूल्य सबक

पूरा विश्व कोरोना वायरस के कारण कठिन समय से गुजर रहा है। क्षेत्रों, राज्यों की सीमाएं बंद, स्कूल-कॉलेज बंद, यात्रा बंद और हम सभी अपने अपने घरों में बंद। भोजन, पानी अन्य साधनो की कमी, कोरोना ग्रसित लोगों की बढ़ती…

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विद्यार्थी का जीवन

कलमकार शिवम तिवारी प्रतापगढ़ी विद्यार्थी जीवन पर कुछ पंक्तियाँ लिखकर प्रस्तुत की हैं। उन्होंने अपना अनुभव साझा किया है इस कविता में, आप भी पढें। जिंदगी की किताब, कब पलट गई, पता ही नहीं चला। कब सपनों के लिए, अपना…

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वो भी दिन थे

वो भी दिन थेक्या फिर से वो दिन आएगेंन हम यूँ ही घरों में रह जाएंगे।। वो भी दिन थेक्या फिर से वो दिन आएँगेअपनो से कभी हाथों में हाथ,कंधा में कंधा मिला के चल पाएँगे।। वो भी दिन थेक्या…

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ये सिरफिरे

कोरोना रक्षक के हौसलों को तोड़ते ये सिरफिरे।देश के लिए नासूर बनते जाते ये सिरफिरे,इनकी कोई जाति नहीं, इनका कोई धर्म नहीं,जाति धर्म के नाम पर धब्बा लगाते ये सिरफिरे।दवा इलाज का बचाव का ईनाम ईट पत्थरों से देते ये…

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रूहों के ज़ालिम तुझे हुआ क्या है?

आज महामारी के दौरान जबकि सभी नागरिक अपने घरों में क़ैद है और कुछ ना कुछ सुकून से है और जी रहे है और वही दूसरी तरफ देश की पुलिस,डॉक्टर,समाज सेवी आदि सुधि जन अनवरत सेवा भाव में लगकर कितनों…

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कोरोना के बाद

कोरोना काल के बादऐसा कुछ हो जाएगा।आपस मे एक दूजे सेमिलने से कतराएंगे।सामाजिक कार्यक्रम भीअब बन्द हो जाएंगे।गली मोहल्ले बाजारों मेंअब भीड़ न हो पाएगी।होली दीवाली ईद सारेघर बैठ के ही मनाएंगे।ज़िन्दगी है जनाबछोड़ कर चली जायेगी ।मेज़ पर होगी…

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दो गज की दूरी

बात है जरूरी बताना भी है जरूरीबना लो दो गज की दूरीरिस्ते है जरूरी मत बढाओ मन कि दूरीबना लो दो गज की दूरीडकोई बात हो मजबूरीनही जाना है जरूरीये जहान भी जरूरी ये जान भी जरूरीबना लो दो गज…

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कोरोना रूपी राक्षस

हवाओ में भी विष घुल गया।संकटो में भी देश पहुंच गया।कोरोना रूपी राक्षस भी।मानव जाति का भक्षक बन गया।पाश्चात्य सभ्यता को अपनाओ।हाथ मुंह धोकर घर के अंदर आओ।सोशल डिस्टेनशिंग रूपी राम बाण चलाकर।कोरोना राक्षस को तुम मार भगाओ।कोरोना राक्षस को…

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जिंदगी की चाल

कलमकार अजय प्रताप तिवारी "चंचल" की एक कविता पढ़िए जिसमें वे जीवन की रफ्तार को संबोधित करते हैं। समय के साथ-साथ जिंदगी भी बहुत तेजी से भागती है और इस दौरान हम अनेक चीजों को पूरा करना भूल जाते हैं।…

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इं० हिमांशु बडोनी (शानू), पौड़ी गढ़वाल

मेरी काव्य लेखन के प्रति रुचि मुख्यतः कक्षा-११ (वर्ष: २०११) में जाग्रत हुई, जिसके परिणास्वरूप मैंने तब से लेकर अब तक अनुमानित १००+ स्वरचित रचनाएं कलमबद्ध कर ली हैं। मैंने विभिन्न समकालीन विषय वस्तुओं को आधार बनाते हुए अपनी समस्त…

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दिनकर

साहित्य जगत के "अनल" कवि का,अधैर्य जब चक्रवात पाता है ।तब "दिनकर "भी "दिनकर" से,दीप्तिमान हो जाता है । "ओज" कवि "रश्मिरथी "पर,जब-जब हुंकार लगाता है।"आत्मा की आंखें "कैसे ना खुलेगी।पत्थर भी पानी हो जाता है। साहित्य जगत के "अनल"…

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रमजान माह में कलमकारों के बधाई सन्देश व काव्य रचनाएँ

माह-ए-रमज़ान में सब बाँटे खुशियों की सौगातें,कि, इन्सां की मुलाक़ात इन्सां से ज़रा सलीके से हो।रहमत तू ऐ ख़ुदा, कुछ यूँ बरसा ज़मीं पर,'ईद' हमारी कुछ यूँ तरीक़े से हो।अनुराग मिश्रा 'अनिल'बेतिया

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प्रकृति शक्ति- सौम्य रूपा

हे प्रकृति शक्ति-सौम्य रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा नमन! शमन अपनी शक्ति रौद्र रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा नमन! त्राहि त्राहि मचा हुआ है जगत में,विनाश हो रहा है जगत का शमन अपनी शक्ति रौद्र रूपा, तुझको मेरा नमन, मेरा…

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कैसी लीला तेरी भगवन

ये कैसी लीला तेरी भगवन, कैसी ये घडी आई है।बेबस असहाय लगता मानव, कैसी ये महामारी छाई है।।जहाँ हैं वहीं रहने को, लोग हो गए हैं मजबूर।'कोरोना" ने अपनों को, अपनों से भी कर दिया है दूर।।सर्वशक्तिमान का दंभ भी,…

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कलयुगी कोरोना

हे कलयुग! तुम्हारे राज़ में सभी कलयुगी क्यों है? तुम्हे नहीं पता? तब तो, खेदजनक बात है! हमारे ही बुजुर्गों ने ही तो कहा था! अन्याय होगा!अधर्म होगा! नहीं पता तुम्हे? बताता हूं, फिर सुनो!! लोग बाप पर हाथ उठाते…

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खुदा से पूछना है

खुदा से पूछना है ये सब क्या माज़रा है इंसानों को अब इंसान से डर है। खुदा से पूछना है ये सब क्या नज़ारा है गलियों में सन्नटा और बंद हर घर है।। खुदा से पूछना है ताबीर क्या देखना…

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तालाबंदी का समर्थन

सुनसान शहर हर गली वीरान हैं। कहाँ गए इंसान यह सोच पशु भी हैरान हैं।। कुदरत का यह कैसा कहर बरस रहा हैं। इंसान अब बाहर निकलने से भी डर रहा हैं।। बड़े-बड़े महल भी अब जेल लगने लगे हैं।…

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वह वक्त आएगा

वह वक्त आएगा जब विनाश टलेगा मानवता जीतेगी और कोरोना भाग जाएगा । वह वक्त आएगा जब इस रास्ते के कांटे को सभी मिलजुल कर हटाएंगे और फिर से मानव प्रेम की माला बनाएंगे । वह वक्त आएगा जब कैद…

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मैं नारी हूँ

कलमकार सुनील कुमार जी महिलाओं के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं, आप भी पढिए। न मैं अबला न बेचारी हूं मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं मां-बहन- बेटी-बहू रूप अनेक धारी हूं मैं शक्ति स्वरूपा नारी हूं। बाबुल की मैं…

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मुकेश बिस्सा रचित दस कविताएं

१) आदमी बिखर गया वो जाने किधर आया हैंआदमी ही बिखर आया हैं। मंजिले अजीब सी लगती हैंअरसे बाद कोई घर आया हैं। आस उसकी निराश हो गईखाली हाथ कोई आया हैं। वो गया पाने की तलाश मेंहौसला हार कर…

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