कलयुग मे बिखरता परिवार
इंसान वक्त के साथ खुद को ढाल लेता है किंतु सद्बुद्धि बनी रहे यह नहीं कहा जा सकता है। कलमकार दीपिका राज बंजारा ने अपनी इस कविता में कलयुग में बिखरते परिवार की चर्चा की है। साल बदला पर क्यों…
इंसान वक्त के साथ खुद को ढाल लेता है किंतु सद्बुद्धि बनी रहे यह नहीं कहा जा सकता है। कलमकार दीपिका राज बंजारा ने अपनी इस कविता में कलयुग में बिखरते परिवार की चर्चा की है। साल बदला पर क्यों…
तुम इश्क़ करना और जरूर करना पर किताबों से। इंसान से किये तो बर्बाद हो जाओगे। किताब से किये तो आबाद हो जाओगे। दिल ऐसे टूटेगा वीराना भी ना रहने देगा। खुद खुदा हो जाएगा, तुझे इंसान भी ना रहने…
किताबें, वो सच है जो हमें केवल, शिक्षित नहीं करती जीवन जीने का, सलीका बताती है किताबों का हर एक, पन्ना जीवन का सार, देती है। किताबें! हर उस सच से हमें वाकिफ़, करवाती है जिसके विषय में, जानने की…
कलमकार अभिषेक की एक रचना पढें जो लिखते हैं कि चाहे जैसी परिस्थिति आ जाए, मैं उनका सामना कर जी लूँगा। तुम साथ न भी दो तो भी जी लूँगा। आज लग रहा जैसे तुम नहीं हो,हाँ सही सुना।अपनी यादों…
आज विश्व पुस्तक दिवस है, इसकी महत्ता सनातन युगों से चली आ रही है. आज भी प्रासंगिक है और अनंत युगों तक प्रासंगिक रहेगी. पुस्तके ज्ञान पुंज है, ये जहाँ रहेगी, स्वत: ही स्वर्ग वह स्थान बन जाएगा. पुस्तकों में…
सभी प्रश्नों के उत्तर मिलते पढ़कर सबके चेहरे खिलते हर कोई ही मग्न है इसमें ज्ञान की है भण्डार किताबें। बचपन में कविता है भाती बहुत सी ऐसी कहांनी आती बच्चों को इक सीख है देती रंग भरी सारी वो…
किसान हम सभी के अन्नदाता होते हैं, उन्हीं की मेहनत से अनाज हम तक भी पहुँचता है। सबके पेट के लिए अन्न उगानेवाले किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। कलमकार अतुल मौर्य ने अपनी कविता में किसान की व्यथा व्यक्त…
घर पर बैठे बैठे सुस्ताओ नहीं, पास आओ मेरे घबराओ नहीं! चलो आज कुछ नया करें हम, किताबों से भला क्यों डरें हम! विद्या जगत की रोचक बातें, आओ आज हम गढ़ना सीखें! चलो मित्र आज हम मिलकर, बस खेल…
किताबों की दुनिया कितना अच्छा वक्त जब रहता था इंतज़ार एक नई किताब आने का छोड़ के सारे काम किताब नई पढ़नी थी बिना पढ़े न दिन में चैन था न रात में आराम अब तो वो समय ही कहाँ…
किताब स्वयं में है संसार आओ चलें पाठ करें किताब नहीं कोई व्यापार, आओ चले पाठ करें किताब की जैसी मां मेरी है जो कहती पल में, सब तेरी है इसमें नदियां है व इसमें झील चलना होता है लंबे…
किताबों पर मैं जाऊं वारी-वारी इसकी पंक्ति-पंक्ति जैसे हो कोई मेरी सवारी जिस पर बैठ मने घूमी दुनिया सारी किताबों ने मेरी जिंदगी संवारी इसके शब्दों की लीला है, न्यारी। इसमें होकर सवार कभी मैं घूमी दुनिया पुरानी तो मने…
कलमकार महेन्द्र परिहार "माही" जी नारी शक्ति के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ समर्पित की हैं। महान नारी-शक्तियों को नमन करते हुए आप भी इनकी यह रचना पढें। साहस त्याग बलिदान की मूरत विश्वास प्रेम स्वाभिमान की सूरत तुम हर रंग…
वर्तमान को, भविष्य को भूत के इतिहास को सजोये हुई है ये किताबें। वतन के परवानों को प्रेम के दीवानों को सजोये हुई है ये किताबें। वेदों को, शास्त्रों को बड़े-बड़े महाकाव्यों को सजोये हुई है ये किताबें। कृष्ण के…
हे सुचित, पुलकित, हर्षित, मनभावन व पावन धरती।"मां" तुम ही सबके दु:ख दर्द को समय समय पे हरती।।सबके घर-द्वारे, अन्न-धन के, तुम ही भण्डार हो भरती।कृषक के कर्म की कल्पना को, तुम ही साकार हो करती।।गगन तुमसे, अग्नि तुमसे, है…
कलमकार विमल कुमार वर्मा नारी को जगत जननी के रूप में संबोधित किया और उनकी महानता के कुछ तथ्य इस कविता में रेखांकित किया है। जगत जननी कहलाए नारी, सृष्टि रचियता कहलाए नारी, श्रेष्ठता की खुमार है नारी, ममता की…
कलमकार डॉ. राजेश कुमार शर्मा पुरोहित जी की सुपुत्री शुभांगी शर्मा ने पृथ्वी दिवस यह कविता लिखी है, आइए इस नन्हें कलमकार की यह रचना पढ़ें। पेड़ धरती का श्रंगार है, पेड़ जीवन का आधार है।सर्दी गर्मी वर्षा सब ऋतुओं…
जिंदगी! थोड़ा धीमे धीमे चल- यही कहते हैं कलमकार प्रिंस कचेर "साक्ष" इस कविता में। जिंदगी वक्त के साथ सदा चलती रहती है कभी थमती नहीं है। आहिस्ता-आहिस्ता चल जिन्दगी,उम्र कट जायेगी। ये जिन्दगी यादों कि, किताब बन जायेगी॥ तेरे…
है पृथ्वी जीवन पृथ्वी माताये ही हमारी भाग्य विधाता जन-जीवन शून्य बिन इसकेहै ये ही हमारी जीवन दाता ये है उद्गम ये ही अंत हैसारी ऋतुएं सह बसंत है पृथ्वी है अनाज की दातापृथ्वी से ही हम जीवंत हैं ये…
मिलकर इक अभियान चलाएं"पेड़ लगाओ प्रकृति बचाओ"आस-पास हरियाली दिखेकुछ ऐसा वातावरण बनाओ।आने वाले उस कल के लिएजिम्मेदारी अपनी सभी निभाओ।आज पीढ़ी समझो इसकोप्रकृति बचाओ जीवन पाओ।उपहार स्वरूप में वृक्षों को दोप्रदूषित होने से शहर बचाओ।वातावरण को शुद्ध रखना हैहरियाली सब…
आओ बच्चों सब मिलकर लगायेंहरे-भरे पेड़-पौधा और उपवनअमर रहे पेड़-पौधा और उपवनप्राणियों के लिए विश्व बने महान। हम सदा यहीं करते रहे पुकारउनसे लोगों को मिलते रहे प्यारउपवन होते हैं माँ-बाप के समानउनका रक्षा करों अब हर इंसान। पेड़-पौधा से…