माँ सरस्वती
हे माँ सरस्वती ज्ञान दे वरदान दे पूजा करें अर्पण पुष्प करें नदियों का कलकल गुणगान दे। श्वेत वस्त्र,हंस वाहिनी वीणा की मीठी तान दे कमल खिले नीर में ऐसा वरदान दे। हे माँ सरस्वती ज्ञान दे वरदान दे पूजा…
हे माँ सरस्वती ज्ञान दे वरदान दे पूजा करें अर्पण पुष्प करें नदियों का कलकल गुणगान दे। श्वेत वस्त्र,हंस वाहिनी वीणा की मीठी तान दे कमल खिले नीर में ऐसा वरदान दे। हे माँ सरस्वती ज्ञान दे वरदान दे पूजा…
कलमकार राहुल प्रजापति की एक चंद पंक्तियाँ पढें - मौन थी ये हवा गुनगुना न सकी गीत कलियों बहारों के गा न सकी जब तलक थी जरूरत रही पास वो ग़म में मुझको गले से लगा न सकी उसने भी…
कलमकार सतीश शर्मा जीवन में घटने वाली अनेक परिस्थितियों और घटनाओं के अनुभव से यह कविता पूरी की है। कई आदमी रहते हैं यहां, हर एक शख़्स में। हो सकता है, बेहतर भी हो कोई बुरा भी हो। पाना है…
कलमकार अनिरुद्ध तिवारी स्त्री के बारे में लिखते हैं कि वह सशक्त भी है और सुंदर भी। उनमें ममता, प्रेम, लज्जा, मर्यादा और ज़िम्मेदारी बहुत है। सहन करने कि शक्ति भी है और सच का आईना दिखने का गुण भी…
भारत की सभ्यता और संस्कृति संपूर्ण विश्व में सुविख्यात है। सभ्यता हमारी परंपराओं से हम तक बरकरार है। कलमकार मुरली टेलर 'मानस' जी भारत की सभ्यता और संस्कृति से जुड़े हुए अपने विचार इस कविता में व्यक्त करते हैं। इतिहास…
1) जैसे मति वैसी गति आज भी शेर खान देर से घर आया। वह काफी हताश लग रहा था। परन्तु ये क्या? आदमी अगर थका हो या हताश हो और ऊपर से रात्रि का समय हो तो वह उस कार्य…
१) ऊंची उड़ान खाने की चाह लिए कबूतरों का झुंड मंदिर से उड़कर मस्जिद से होते हुए गुरुद्वारे के गुंबदों पर आ बैठा। चारों ओर सन्नाटे को देखते हुए बुजुर्ग कबुतर ने अपने समूह से कहा- "दोस्तों इस वक्त मंदिर…
जीवन में कर्म का विशेष महत्व होता है, हमें सदैव कर्मशील रहना चाहिए। कलमकार इमरान संभलशाही ने अपनी इस कविता में जीवन को जीने के कुछ बेहतरीन नुस्खे बताएँ हैं जिसे अपनाना हितकर होगा। उपकार करो या सत्कार करो स्नेह…
कलमकार अतुल मौर्य ने एक कविता प्रस्तुत की है जिसमें वे बेटी को संबोधित करते हुए अपने मन के भाव प्रकट किए हैं। ओ बेटी, तू मान बन.. अभिमान बन, गौरव बन.. सम्मान बन, कल का इतिहास बदलने को तू,…
रोशनी से जागतीउम्मीदों की किरणअंधेरों को होतीउजालों की फिक्रसूरज हैचाँद हैबिजली हैइनमें स्वयं काप्रकाश होताये स्वयं जलतेदिये में रोशनी होतीमगर जलाना पड़तासब मिलकर दीप जलाएंगेधरती परकरोड़ो दीप जगमगाएंगेऔऱ ये बताएंगेसंक्रमण के अंधेरों कोएकता के उजाले सेदूर करकेस्वस्थ जीवन कोदूरियां बनाकरदेखा…
खतरे से दूरी मास्क जरूरी,नहीं ये मजबूरी, जीवन के लिए जरूरी।नहीं मिलती दवाई, संयम से इसकी विदाई।अब तो समझो भाई, बिमारी ने रफ्तार बढाई।घर में रहों सुरक्षित रहों,खूद बचों, परिवार को बचाओं।जीवन दो चार माह की नहीं,मानों यह बात सबकी…
गुनाह तोह पासपोर्ट का था,दरबदर राशन कार्ड हो गए।प्रकृति के इस भूचाल ने हम,सभी को सबक सीखा गए।दुरपयोग करने की सजा हमसबको दे दिए गए।मंदिर-मस्जिद की जरूरत नहीं,शिक्षा, चिकित्सा के महत्व को बढ़ाये गए।नए दुश्मन के आने से जरूरतमंदो,से मुलाक़ात…
जादू की छड़ी जब वक्त कीघूमती है, तोसब कुछ ऐसे पलट जाता है,जैसे-कदम हैं रुके सेऔर धरती चल रही है,आसमां है झुका साऔर हम उठ रहे हैं,सूरज है शीतल साऔर चांद तप रहा है,पशु-पक्षी हैं उन्मुक्त सेऔर हम कैद हो…
महामारी का दौर है सब घर में ही करो विश्राम,बाहर घूम रहा है कोरोना, है बाहर जाना हराम,मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारा सब ताले में बंदघर में बैठकर ही भजो, सभी अपने अपने राम।नर सेवा में लगे हुए वो नरवीर संभाल…
मन में पीड़ा इतनी है, जितना बड़ा है रत्नाकर।यह सोच कर निकल पड़े, सुकून मिलेगा घर जाकर। कितनी दूर पैदल चलेंगे, वो हैं निरेहाल।चेहरे से स्मित है गायब, हालात है खस्ताहाल। एक बीमारी ऐसी आई मानो वह है डायन।श्रम साधक…
चापलूसी भी एक तरह की कला है जो हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि चापलूसी कभी किसी का भला नहीं करती है। चापलूसों के व्यवहार पर कलमकार दीपिका राज बंजारा की यह…
हमारा मन अनेक तरह की भावनाओं को समझता है और प्रकट भी करता है। हमारे उदास होने पर मन की दशा हमारे जीवन से जुड़ी होती है। कलमकार ऋतिक वर्मा - मन की व्यथा, पढ़िये। आज बैठा हूं एकांत को…
१५ अप्रैल, १९४८ को हिमाचल प्रदेश का गठन २८ से अधिक रियासतों किया मिलाकर किया गया था। इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते जन्मदिन का कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाया जा रहा है। हिमाचल की कुछ छात्राओं ने 'हिमाचल…
डॉ. कन्हैयालाल गुप्त द्वारा लिखी गईं कुछ लघुकथाएँ पढ़िए। १) अंगुठी मोहन के ससुर ने सगाई में अपनी बेटी राधा को पहनाई गयी अंगुठी वापस करते हुए अनाप शनाप कह रहे थे। इसका कारण यह था कि जब राधा की…