माँ आ जाया करो
अब मैं रुठता नहीं, न देर तलक होता हूं।वो स्पर्श औषधि थी,गोद जन्नत... बस स्मृतियां शेष है।हां मां जब आंखें नम हो मेरी आया करो।ख्यालों में बस जाया करो।हां मां आया करो।जब नींद न आए तो वहीं लोरी की मुखड़े…
अब मैं रुठता नहीं, न देर तलक होता हूं।वो स्पर्श औषधि थी,गोद जन्नत... बस स्मृतियां शेष है।हां मां जब आंखें नम हो मेरी आया करो।ख्यालों में बस जाया करो।हां मां आया करो।जब नींद न आए तो वहीं लोरी की मुखड़े…
बहुत मन करता है तेरी आंचल में रहने का तेरी लोरी सुनने के लिए बैचन रहती हूं तेरे बिना इस दुनिया में कोई पूछता ही नहीं तेरी हाथो से खाने का मन करता है पर तू कभी आती ही नहीं…
मुझे आज भी याद है मांजब उंगली पकड़कर चलाने परअचानक बीच में छोड़कर मुझेखुद के पैरों पर खड़ा होना सीखती थी।मुझे आज भी याद है मांतेरी ममता का मैला ऑचलजिससे सुरक्षा देकर मुझेहर कष्टो से लड़ना सिखाती थी।मुझे आज भी…
माँ तेरी ममता की छाँव मेंकब बड़े हो गए,पता ही ना चला।माँ तेरी उँगली पकड़करकब चलना सीख गए,पता ही ना चला।माँ तेरी गोदी में सिर रखकरकब समझदार हो गए,पता ही ना चला।माँ तेरे पीछे भागते-भागतेकब जिंदगी के पीछे भागने लगे,पता…
मां ने इस दुनिया में लाया।मां ने ही दुनिया दिखलाया।मां ने ही चलना सिखलाया।मां से ही तो है यह घर बार,मां ना हो तो लागे सब कुछ बेकार।मां है तो है ये संसारमां के बिना सब कुछ बेकार।कहने को तो…
शब्द नहीं, संसार है माँखुद में ही त्योहार है माँ।हो गरीब या अमीर कीएक पवित्र प्यार है माँ।दुख, सुख, फिक्र, सब्ररात, दिन इन्तजार है माँ।गुस्सा, झिड़क, चिंता, खुशीलाड़ ओ पुचकार है माँ।अच्छा, बुरा, पसंद, नापसंदबच्चों की जानकार हैं माँ।लोरी, थपकी,…
रीति-रिवाजों और परम्पराओं की संवाहक माँ,घर एक संस्था तो इस संस्था की संचालक माँ।ऊंच-नीच, भेदभाव रहित, सबको ही मिले और बराबर,आशा और विश्वास की केंद्र, ऐसी एक अभिभावक माँ। माँ का साथ तो रीति-रिवाज़ और परम्पराएं हैं,गर साथ नही तो…
मां तेरी महिमा महानतेरी महिमा का करूँ बखानहम पर सदा लुटाई जानदिए हमें अच्छे संस्कारसिखाया हमें बौद्धिक ज्ञान मां तू ममता की है मूरतभगवान से मिलती तेरी सूरतहमेशा करी हमारी जरूरतप्यारी छवि बेहद खूबसूरत मां के विना जीवन अधूरामां के…
हर गम को ख़ुशी में बदलती हैं माँ,सारी बलाओं से अकेली लडती हैं माँ। जब भी आये कोई भी परेशानियां,निर्भीक होकर ढ़ाल बनती हैं माँ। ऊँगली पकडकर चलना सिखाया,निश्छल, निस्वार्थ प्रेम करती हैं माँ। ममता के आँचल की प्रतिमूर्ती है,हर…
या खुदा!मुझे सुख नहीं चाहिए!दुख नहीं चाहिए!मुझे जगत का चर अचर नहीं चाहिए!मुझे गगन तारे चांद भी नहीं चाहिए!नहीं चाहिए मुझे अप्सराएं!नहीं चाहिए मुझे खुशियां व सौगात!खेत खलिहान,हरियाली भी नहीं चाहिए!मत देना तुम मुझे शीतल वायु!मत देना तुम लंबी आयु!मत…
आधा निवाला खुद खा आधा मुझे खिलाती थी।अपने रक्त की बूँद-बूँद से वो मुझे सींचती थी।। ख्वाहिशें उन्होने अपनी सारी जलाई ।जब मैं उनकी कोख से गोद में आई।। कोई ना देखे मुझे बुरी नजर से इस बात की वो…
माँ की कृपा बड़ी निराली हैकरो समर्पण फिर जिंदगी में खुशहाली हैभले ही माँ भूखी रह जाती हैमुझे आई तृप्ति की डकार से माँ संतुष्ट हो जाती हैसंसार में माँ ही शक्तिशाली हैबिन माँ के दुनिया की बदहाली हैमाँ रातो…
छोड़ गया मैं तुझे मां, तेरी बेहया हाल मेंशहर को गया मैं मां, तेरी ख्वाहिश की अरमान में। छलक रही थी आशु मां, जुदाई भरी आंखों सेममता की चदर से मां, निकलकर उबरने से। याद आ रही हर लम्हें मां,…
दुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारादौड़ी चली आई माँ, उसने दिया सहारादुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारान सिर्फ खुशियाँ ही बाँटेमेरे दुःख भी बाँट लेती वोजीवनपर्यन्त मुझपर ऋण रहेगा तुम्हारादुःख में, दर्द में, मैंने उसे पुकारान सिर्फ हमको…
अपनी आंचल के साए में सदा महफ़ूज रखा हर बला से तुमने मुझको बहुत दूर रखा मेरी उंगली पकड़कर तुमने चलना सिखाया दुनियां के झंझावातों से निपटना सिखाया तुम्हीं ने मुझे सबसे पहले पढ़ना सिखाया पंख देकर आसमानों में उड़ना…
राणा जैसा हुआ ना कोईवो थे एक महान।वीर प्रताप वही एक थेउनकी अलग थी शान। झूठा है इतिहास जो कहताअकबर एक महानअपनी धरती माँ की उन्होंनेझुकने ना दी शान। दूत भेजता रहा वो अकबरझुके नहीं वो महान।हल्दीघाटी युद्ध हुआ जबअकबर…
वीर भूमि राजस्थान का,वह वीर प्रताप राणा था।जिसके साहस से कांप गया।अकबर ने लोहा माना था। 7 फुट के वीर का,72 किलो का भाला था।200 किलो का कवच पहनकर।चेतक पर चलता,आजादी का वीर मतवाला था। वीर भूमि राजस्थान का,वह वीर…
शोर्य और शूरवीर के प्रतीक राणा प्रतापदूर किया देशवासियों का संतापअपनी वीरता का सिक्का जमायामुगलों को जंग मे हरायाहल्दीघाटी का संग्रामदेता उनकी जीत का प्रमाणविश्वासपात्र चेतक पर स्वारपूरी शक्ति से किया प्रहारमुगल फौज का किया प्रतिकारशत्रु पक्ष का किया संहारधन्य…
अपने रचना का कर गर्जन, विश्व साहित्य का किया, सृजन, नोबॉल पुरस्कार धारी वो, बांग्ला साहित्य मात्र नहीं विश्व साहित्यकारी वो, अटखेलियां दिखाते बादल, नदी सुनहरी। गुरुदेव की कविताएं है, सागर सी गहरी। विपत्ति से जूझना सीखा दे गुरुदेव की…
कलमकार पूजा कुमारी साव ने वृदधाश्रम और आजकल की नई पीढ़ी के नजरिए की दास्ताँ इस कविता में बताने का प्रयास किया है। वृद्धाश्रम की क्या कहूँ करूण कहानी माता-पिता की कद्र शिक्षित वर्ग ने भी ना जानी जना जिसे,…