खतरे में अर्थव्यवस्था
एक महामारी के कारण, हुई देश की हालत खस्ता, चीन ने ऎसा वायरस छोड़ा, है खतरे में अर्थव्यवस्था। परेशान है सभी देश अब, हुई सभी की हालत पतली, घरों की रौनक भी खोयी है, बाहर की भी रंगत बदली, सभी…
एक महामारी के कारण, हुई देश की हालत खस्ता, चीन ने ऎसा वायरस छोड़ा, है खतरे में अर्थव्यवस्था। परेशान है सभी देश अब, हुई सभी की हालत पतली, घरों की रौनक भी खोयी है, बाहर की भी रंगत बदली, सभी…
हो संकट या, कोई विकट मधुशाला में, लगा है जमघट विपदा हो, या खुशहाली मधुशाला की बात निराली। लोग कोरोना से है, भय पाता मधुशाला का, दौरा लगाता मंदिर-मस्जिद, सब पर ताले मस्त है, फिर भी पीनेवाले यह देश की…
कोरोना काल में ईश्वर पर दोषारोपण करने वालों को ईश्वर का जबाब- रूठो नही टूटो नही मैं तुम्हारे साथ-साथ सदा तेरे सर पे हाथ। डरो नहीं, झुको नहीं मिलाओ न अभी हाथ-हाथ मैं तुम्हारे साथ-साथ सदा तेरे सर पे हाथ।…
कैसा ये वक्त आया कि हम सभी घर में ही रह रहें, सभी अपने अपने घरों में रहो ये हमारे प्रिय मोदी जी कह रहे कहते है जो जहां है वो वही रहे तो अच्छा होगा, जल्दी ही भारत का…
जहां केवल अपने ही अपनों का प्यार होता है एक छोटे से ही घर में खुद का पूरा संसार होता है हां वह परिवार होता है । जहां सुबह से लेकर शाम तक केवल खुशियों के लिए प्रयास होता है…
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस (International Family Day 2020) के अवसर पर परिवार से जुड़ी कई रोचक जानकारियाँ पढ़ें। दुनिया भर की खबरें आज इंटरनेट के माध्यम से हम सभी को मिलती रहती हैं, हो सकता है आपने भी इन खबरों को…
चिलबिल के पेड़ से तो सभी वाक़िफ होंगे। मेरे घर के सामने एक चिलबिल का पेड़ है। अभी कुछ दिन पहले मार्च महीने में पूरा पेड़ हरा भरा था। हरे रंग में सारे फल खूब सुशोभित हो रहे थे लेकिन…
मेरा परिवार सुखी परिवार हे प्रभु तेरा करूँ मै आभार अशांति की जगह पले प्यार हर पल चले प्रेम की वयार मेरा परिवार मेरी आन सदा करूँ मैं इस पर मान मेरा गरूर और मेरी शान खुशियों की करवाता पहचान…
जीवन को समृद्ध करने के लिए, जब परिवारिक इकाई, समाज ने बनाई। फिर क्यों? आज के परिवेश में, घर बना कर, परिवार बनाकर। जिंदगी बस, अपने-अपने, कमरे तक ही समाई।। जबकि जिंदगी को, समृद्ध करने के लिए, जब हम और…
मन का तोता बोल रहा। खतरा सब पर डोल रहा। लापरवाही तौबा तौबा, जीवन है अनमोल रहा। कोरोना का कहर जहा, सब की ताकत बोल रहा। कोरोना है जानलेवा, अंतर का बज ढ़ोल रहा। बाहर घूम, आफत लाना, कोरोना का…
प्रकृति और मनुष्य का रिश्ता बहुत ही प्यारा है, इसे और मजबूत करने की आवश्यकता है। कलमकार सुमित सिंह तोमर बताते हैं कि किस प्रकार प्रकृति को क्षति पहुंच रही है, अनेक प्राणी तो विलुप्त होने के कगार पर हैं।…
आँखें बातें करना भी जानती हैं और इशारों की यह बोली हर कोई जानता है। कलमकार अभय द्विवेदी निगाहों की बात का उल्लेख अपनी कविता में कर रहे हैं। निगाहों ने की हैं निगाहों की बातें, नीली नहर सी निगाहों…
मुस्कान अपनी बिखेर दो न, ओ प्यारी नर्स! ग़म को खुशियों से घेर दो न, ओ प्यारी नर्स! हर मरीज़ की पीड़ा हर लो न, ओ प्यारी नर्स! नवजीवन का उसको वर दो न, ओ प्यारी नर्स! संकटमोचन का रूप…
कोरोना वायरस से छिड़ी हुई जंग शत्रु है शक्तिशाली अदृष्य और अनंग पूरी दुनिया को किया है तंग महाशक्तियाँ हुई है अवाक और दंग पूरी दुनिया पर कर रहा है वार इस के आगे सब लाचार सारे उपाय हैं बेकार…
रोटी भी ये क्या क्या नहीं करवाती है, कभी सड़क कभी पटरी पर ले जाती है। जीते जी ना मिल सकीं वो सुविधाएं, अब ये मृत देह हवाई जहाज से आती है। एक कटोरी दाल तक न मिल पायी, अब…
हाय! कैसी है ये, मजबूरी मजदूरों की। अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए चले जाते है,परिवार से दूर ताकी कही मजदूरी कर, पाल सके, परिवारों का पेट। हाय! कैसी है? ये पेट की आग। जो मजदूरों को कर देती,अपनों…
जब से लॉक डाउन हो गया मेरा मन बेचैन हो गया। होगा कैसे व्यतीत ये क्षण कैसे कटेगे मेरे ये दिन।। सुरागार जब बंद हो गए जीवन कैसे चल पाएगा। किन्तु धीमे धीमे मंद गति से लॉक डाउन कट जाएगा।।…
लाकडाउन मे जो लोग विभ्भिन परिस्थितियो में मारे गये लोगों को यह कविता समर्पित। ईश्वर उनकि आत्मा को शांति प्रदान करे। अन्धेरा छट जायेगा, सूरज जब उग आयेगा! दिपक भी जल जायेगा, उस मॉ को कौन समझायेगा? जिसका लाल अब…
एक घाव पुराना बाकी है, उनको भी भुलाना बाकी है, जब जब दुनिया मे दर्द बंटा है, अपनों को सुनाना बाकी है।। जब याद हमारी आएगी, उनको भी ऐसे तड़पायेगी, ना सोच था मेरा उन जैसा, सपने में हमें तू…
कुदरत का तोहफा है कितना लाजवाब।आओ बैठे सोचे,हम मिलकर जनाब।।१।। हरे हरे पेड़ों की,हरी हरी टहनियाँ।जिस पर ये करते हैं,पंछी अठखेलियां।। दे रही है सबकुछ,सबको बेहिसाब।आओ बैठे सोचे,हम मिलकर जनाब।।२।। झर झर झरता है,झरनों का पानी।नदियों की कलकल,सुनाएं सुनो कहानी।।…