प्रकृति का संकट पहचानें
हिंदी कलमकारों ने प्रकृति संरक्षण की बात हमेशा कही है। हमें लगता है कि हम तो कोई नुकसान नहीं कर रहे हैं प्रकृति का, किन्तु जाने-अनजाने अनेक क्षति पहुंचा जाते हैं। कलमकार गोपेंद्र सिन्हा लिखते हैं कि अब समय आ…
हिंदी कलमकारों ने प्रकृति संरक्षण की बात हमेशा कही है। हमें लगता है कि हम तो कोई नुकसान नहीं कर रहे हैं प्रकृति का, किन्तु जाने-अनजाने अनेक क्षति पहुंचा जाते हैं। कलमकार गोपेंद्र सिन्हा लिखते हैं कि अब समय आ…
इस लाॅकडाउन ने बहुत कुछ हम सभी को सिखा दिया है। तालाबंदी कठिन समय है लेकिन बहुत सहनशक्ति दे चुका है। यह सब हमारी बेहतरी के लिए ही है, कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि इसने तो अकेला रहना…
अब करना है, आत्म निर्भर बनने का प्रयास।। मत बैठो उन के भरोसे, जो करते है आप का उपहास।। अब करना है, आत्म निर्भर बनने का प्रयास।। दुख सुख के साथी बनो, अपनो को ले कर साथ।। जीना है खुद…
मानव ने की प्रकृति से छेड़छाड़ जंगलों को दिया उजाड़ पेड़ पौधों से की खिलवाड़ खोल दिए विनाश के किबाड़ मात्र स्वार्थ के लिए अपना धर्म भूल गया मानवता को तज कर संस्कार भूल गया ईश्वरीय सत्ता को चुनौती दे…
सबको करना चाहिए, सबका नित सहयोग। अपनी संस्कृति सभ्यता, कभी न भूलें लोग।। मानव गर करता रहे, मानव का सहयोग। भाग खड़े हों आपसी, सामाजिक सब रोग।। प्रेम दया सहयोग है, मानवता का मूल। चकाचौंध में उलझकर, कभी न इनको…
नक़ाब शब्द ऐसा है जिसे आप अपनी शब्दावली में सजाकर मोहब्बती क़सीदे पढ़ते है वही दूसरी तरफ़ किसी के चरित्र की धज्जियाँ भीउड़ाते है। नक़ाब उस दौर में मतलब कोरोना त्रासदी से पूर्व और अब जब ये चरम पे है…
कोरोना! तूने ये क्या किया, पूरी दुनिया को अपनी उंँगलियों पर नचा दिया, अंहकारी व्यक्तियों को धूल चटा दिया, कोरोना तूने ये क्या किया। कोरोना! तूने ये क्या किया, दुनिया की शक्तिशाली देशों को उसकी औकात बता दिया, ज्ञान-विज्ञान की…
सुनी पड़ी गई सड़के सभी, और पड़ गई सुनी गलियां। कोरोना की मार है ऐसी, घर में दुबकी सारी दुनिया। मिलना-जुलना अब होता कम ही, होती ना अपनों की गलबहियाँ। हैंड-शेक से भला नमस्ते लगता अब तो, जब भी मिलते…
शहीदों के बलिदान को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कलमकार खेम चन्द कहते हैं कि शब्दों में बयाँ नहीं हो पायेगा अमर बलिदानियों का बलिदान; जय हिन्द जय भारत अमर जवान हमारे महान।कहाँ खो गयी हँसती खेलती सुकून दिलाती वो…
यादों की बारिश आपको सिर्फ भिगोती नहीं है यह यादों में डूबो देती है। हमें रोज अनगिनत पलों की याद आ जाती है कुछ मीठी तो कुछ खट्टी। कलमकार सुनील कुमार की यह रचना पढें जो इस बारिश में भीगी…
यह शहर बदला-बदला सा लगता है। यहाँ के लोग भी बहुत बदल चुके हैं। इसी बदलाव और स्वाभाव की चर्चा कलमकार मुकेश बिस्सा ने अपनी इस कविता में की है। हो गया कैसा ये शहरपल पल में बदलतेयहां लोग हैजितने…
आपने सुना होगा कि सब्र का फल मीठा होता है। इसी कहावत पर अमल करते हुए हम बहुत जगह सब्र करते हैं। अनेक स्थानों पर सब्र के शिवा दूसरा चारा ही नहीं है। इसी विषय पर कलमकार प्रिया कसौधन की…
सोलह मजदूरों को ट्रेन से रौंद दिया जाना और उनका अपने घर ना पहुंच पाना, बहुत दर्दनाक व वीभत्स घटना है। जो भी देखा सुना, जाना, सबके रूह कांप गए। रात भर एक भयावह सपने की तरह सभी को परेशान…
कलमकार भरत कुमार दीक्षित रचित व्यंग्य और हास्य पर आधारित इन रचनाओं का उद्देश्य किसी को आहत करना नही है, महज़ इसे मनोरंजन के लिए पढ़े। १.) खुली हुई है मधुशाला बन्द पड़ी है पाठशालाएँ, खुली हुई है मधुशाला। टूटा…
ये मौसम कोरोना का हमें बहुत सीखा गया। पूरे परिवार को एक साथ बैठना सीखा गया रामायण और महाभारत के संस्कार सीखा गया। स्वच्छ्ता के वो प्राचीन मापदंड याद दिला गया। बर्गर पिज्जा और चाउमीन से दूरी सीखा गया। प्रदुषण…
बड़ी खुद्दारी के साथ वो अपनी नन्ही सी बच्ची को कंधे पे बिठाये अपने गॉव के तरफ निकल पडा है। शहर से गॉव कि दूरी लगभग हजारो किलोमिटर होगी फिर भी वह चले जा रहा है । उसके पॉव के…
जन्म, जीवन और मृत्यु-दो भाई और एक बहन। कहने को तो हम जन्म और जीवन को जुड़वा भाई कह सकतें हैं पर वास्तव में जीवन लोगों के पास जन्म के कुछ महीने पहले ही आ जाता है लेकिन पहले जहाँ…
पटरियों पे रक्तरंजित रोटियाँ, रोटियों संग पड़ी थीं बोटियाँ। थक गये क़दम मुसाफ़िरों के, झपकियाँ पटरियों पे सुला गईं। मुफ़लिसी फिर तितर-बितर हुई, घर पहुँचने की आरज़ू कुचल गई। चीत्कार चौखटें कई करने लगीं। दर्द के दामन में वीरानियां सोने…
बालपन में उंगली पकड़े, जबमम्मी संग कभी कदारअस्पताल जाता था तोमुझे नहीं पता होता कि हम अस्पताल आए हैऔर आए है तो क्यों आए है?ये अस्पताल होता क्या है?अस्पताल में अपनी छोटी आंखों से मम्मी कोमम्मी की ही तरह किसी…
कलमकार संजय वर्मा "दॄष्टि" की रचना- वेदना; हम इंसानों को अपनी तकलीफ बहुत बड़ी लगती है जबकि हमारे द्वारा अन्य जीव-जंतुओं को अनजाने में ही अनेक कष्ट पहुंचाया जाता है। उनकी भी तकलीफ को कम करना हमारा ही कर्तव्य है।…