तुम बिन

कोई हमें इतना पसंद आ जाता है कि हम उसके बिना खुद को अधूरा सा महसूस करते हैं। कलमकार डॉ. राजेश पुरोहित शर्मा जी ऐसी ही स्थिति पर चंद पंक्तियाँ लिखी हैं। सावन भी पतझड़ सा लगता है तुम बिन।…

0 Comments

चाह में शाम-ओ-सहर

इरफान आब्दी मांटवी गाजीपुरी की एक गजल पढ़ते हैं और उनकी कलम के भावों पर अपनी प्रतिक्रिया दें। उजलतों में उस ने हम से कह दिया बे-फ़िक्र हूँ पर हमारी चाह में शाम-ओ-सहर रोते रहे अश्क मेरी ख़ैरियत लेने की…

0 Comments

समझ नहीं पा रहा मैं

हम सब भी कई बार ऐसी परिस्थितियों से गुजरते हैं जब कुछ भी समझ नहीं आता है। उस वक्त तो जो भी उचित सलाह देता है वह एक गुरु से कम नहीं। कलमकार मिहिर सिन्हा ऐसी स्थिति को इस कविता…

0 Comments

अब कहाँ

कवि हर एक स्मरण से कविता की रचना कर सकते हैं। यादों ने तो न जाने कितनी कविताएँ लिखवाईं हैं। कलमकार प्रीतम भी उन दिनों को याद कर कहते हैं कि ऐसा अब कहाँ? वो कॉलेज का आँगन वो साथी…

0 Comments

मदर डे

माँ के प्रेम को किसी भी एक दिन में बांध पाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन फिर भी मदर डे मनाया जाता है। जिससे बच्चा माँ को प्यार और सम्मान दे सके जिसकी वह हकदार होती हैं। भारत देश में…

0 Comments

माँ की ममता

माँ जगत की जीवनदायिनी है। खुशियों की त्रिवेणी प्रवाहिनी है। माँ जीवन की बुनियाद है। हर वक्त पुत्र के हित करती फरियाद है। माँ पिता के क्रोध पर शीतल-सा पानी है। दुनिया में कहीं भी माँ का ना मिला सानी…

0 Comments

मेरी प्यारी माँ

आप धूप मेरी मैं छाया तेरी आप दीपक मेरी मैं रोशनी तेरी आप जड़ मेरी मैं फूल तेरी आप बादल मेरी मैं बारिश तेरी आप गगन मेरी मैं पंक्षी तेरी आप आत्मा मेरी मै शरीर तेरी आप दिल मेरी मैं…

0 Comments

सुला दो न माँ

बहुत भूख लगती है कभी तोप्यार से अब भी तुम खिला दो न माँख़ुद बच्चों की माँ हूँ फिर भीतुम्हारी ममता की छाँव तलाशती हूँउस एहसास को तुम फिर से जगा दो न माँबीमार होने पर पहले की तरहमेरे सिरहाने…

0 Comments

माँ संसार से रुबरु कराए

हमें इस संसार से रुबरु कराएवो माँ ही तो है।दुनिया भर की प्यार लुटाये,वो माँ ही तो है।नन्हीं नन्ही जीवन को जो,जग में जीना सिखलाये,वो माँ ही तो है।ममता की गोद में जो,आँचल का आश्रय दिलाये,वो माँ ही तो है।निराहार…

0 Comments

प्रकृति और हम

प्रकृति की रक्षा करना हर इंसान का दायित्व है। इसकी क्षति संपूर्ण जीव-जंतुओं के लिए घातक सिद्ध होती है। कलमकार अतुल चौहान की यह कविता पढें जो हमें पर्यावरण के प्रति सतर्क करती है। जाने क्यों यह थम सा गया…

0 Comments

चिड़ीमार

कलमकार लक्ष्मीकांत मुकुल इस कविता में गांव का दृश्य रेखांकित करते हुए कुछ तथ्य बताएँ हैं, आप भी पढें उनकी यह कविता- चिड़ीमार। जब काका हल-बैल लेकर चले जायेंगे खेत की ओर वे आयेंगे और टिड्डियों की तरह पसर जायेंगे…

0 Comments

हादसे मेरे शहर में

इस शहर के बारे में कलमकार मुकेश बिस्सा अपने विचार इस कविता में प्रकट कर रहे हैं। अकेला हूँ ज़िन्दगी के सफर में कितने सपने हैं मेरी नजर में। आते है सलामती पाने को कुछ हादसे हैं उनकी ख़बर में।…

0 Comments

माँ तेरा चेहरा

माँ तेरा चेहरा तो मुझको याद नहीं हैबचपन में था खोया तुझको।लेकिन तेरा बेटा हूँ मैंकेवल यह सुधिएक अनोखा सम्बलदे देती है मुझको।।आँख मूँदकर जब भीमन में देखा तुझकोतुझको वहीं कहीं पर ही मैंने पाया है।तेरा बेटा हूँ तुझ बिन…

0 Comments

मां के आँचल तले सुख

मां! मुझे जीवन भर, तेरे आँचल का आश्रय चाहिए आँचल तले स्वर्गीय सुख का, मां! वही अनुभव चाहिए अनुपम सुख और शांति, मां! केवल तुझसे है सब कुछ तेरे आँचल तले, मां! प्रेममय होना चाहिए। कठोर पीडा़ में भी, मां!…

0 Comments

तू ही मेरी पूजा

तू ही मेरी पूजा, तू ही मेरा मन्दिर है ममता की खान, तू प्यार का समन्दर हैविपत्तियों मे तू शिखर के समान है'माँ' तेरी चर्चा जग मे महान हैमुझको 'माँ' ने संस्कार दिए, सिखलाया कोई ऐब नहींमुझको मेरी 'माँ' से…

0 Comments

हर गुण सिखायेगी माँ

माँ है वोतुम्हे हर गुण सिखायेगीआगे चल कर तुम्हे तम्हारी माँ ही याद आयेगीसीख लोगी गर माँ से तुम दुनीया तुम्हे कभी ना डरा पायेगीनही सूनोगी ताने तुमससुराल मे भी मुस्कुराओगीमाँ है वोतुम्हे हर गुण सिखायेगीलोक लाज कि बाते भी…

0 Comments

मातृ शक्तियों को शत शत नमन

जिस देवी ने है मुझे लिखा, उस पर मैं क्या लिख सकता हूँजिस देवी से सीखा पढ़ना, उस को कितना पढ़ सकता हूँजब आँख खुली तो माँ ही थी, उसकी साँसों से जन्मा था बस उसको ही समझा था मैंने,…

0 Comments

वो है माई

ममता की माटी से, स्नेह के जल से,आदर के परिश्रम और आशीर्वाद के फल से,प्रभु ने जो दीप जलाई,वो है माई- वो है माई|नो माह तक हमें खुद मे रखा,ध्यान पूरे परिवार का रखा,न जाने कई पीड़ा की मार है…

0 Comments

माँ तुम गंगा-यमुना हो

माँ शब्द कहने को तो बहुत छोटा शब्द है, किंतु इसमें पूरा संसार समाया हुआ है। दुनिया में माँ का दर्जा भगवान् से बढ़कर है, क्योंकि भगवान भी माँ सामने अपना सिर झुकाते हैं। मेरी माँ ममता की देवी है।…

0 Comments

माँ है ईश्वर का अनुपम वरदान

मुसीबतों में भी हरदम मुस्काती।प्यार से सिर मेरा सदा सहलाती।। खुद भूखी, भरपेट भोजन कराती।सदन उपवन सा अपना महकाती।। कुशल प्रबन्धन से गृहस्थी चलाती।पिता की डांट से सदा हमें बचाती।। बुरी नजर का काला टिका लगाती।सारी बलायें हमारी अपने सर…

0 Comments