बलिदान देश के लिए ~ दिनेश कुमार
आजादी के महापर्व पर YM Dinesh Kumar की एक कविता
ठान लो जेहन में जिद
बांध लो कफ़न को सिर
बढ़ते चलो अपने मंजिल की ओर
एक दिन सफलता की निकलेगी उद्विद।
कर दो तब्दील काया को सख्त चट्टानों में
झंझावत को भी मात मिलेगी
गूज ऐसी हो हुंकारों की
फिर से जन्म ले ले नया हिंदुस्तान का बीज।
वीरता का पराक्रम ऐसा फैलाओ
कराहने लगे रूह दुश्मनों की
इतने दहशत हो जाए विरोधी कौम में
केवल दिखाई दे वहां तिरंगा का नीव।
मर मिट जाओ वतन के लिए
नाम शहीदों में पुकारी जाएगी
गम नहीं फक्र होगा तेरे रुह को
सर्वदा जगमगाएगा तेरे कर्मों का द्वीप।
~ दिनेश कुमार