कलमकार अभिषेक कुमार की रचना पढें जो आजकल के माहौल में लोगों के व्यवहार और प्रकृति को दर्शाती है। सच कहा जाए तो हमें मानवता की जाति अपनानी चाहिए, यही सबसे बड़ा धर्म है।
ए ख़ुदा तू ही बता,
किसे मैं अपना लिखूं और किसे मैं बेगाना लिखूं,
इस पल-पल रंग बदलती दुनिया में,
फ़िर किसे मैं अपना सहारा लिखूं।।ए ख़ुदा तू ही बता,
किसे मैं दोस्त लिखूं और किसे मैं दुश्मन लिखूं,
चंद पैसों को लिए बदल जाते
है लोग यहां,
फ़िर किसे मैं अपना सरफरोश लिखूं।।ए ख़ुदा तू ही बता,
किसे मैं जनता का सेवक लिखूं और
किसे मैं जनता का लुटेरा लिखूं,
चंद वोट और कुर्सी के लिए
धर्म और जाति के नाम पर जनता को लड़वाते है ये,
फ़िर कैसे मैं इन्हें जनता का नरेश लिखूं।।ए ख़ुदा तू ही बता,
किसे मैं हिन्दू और किसे मैं मुसलमान, सिक्ख, ईसाई और जैन लिखूं,
इन सभी के ख़ून के तो रंग है एक,
फ़िर कैसे मैं इन्हें अनेक रंग लिखूं।।~ अभिषेक कुमार
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