कोरे कागज पर हमने प्यार लिख दिया।
मुस्कुराहट पर जिन्दगी नाम लिख दिया।।
सब लिख रहे थे खुदा, भगवान का नाम।
हमने अपने महबूब का नाम लिख दिया।।
थक गये हैं लोग खुदा की इबादत करते।
मैंने तो इंतजार में सुबह से शाम कर दिया।।
मैकदे से निकलते हैं लडखडाते हुए लोग।
देख हसीना को, सुबह को शाम लिख दिया।।
बदनाम होते हैं लोग इश्क की गलियों में।
मैने सांसो में मोहब्बत ए पैगाम लिख दिया।।
उसकी आखों में है इस कदर कुछ नशा।
झूम रहा हूँ जब से आँखे चार कर लिया।।
~ अमित मिश्र