रूठने मनाने का दौर न तो कम हुआ है और न ही समाप्त होगा। इसी में तो प्यार के कई पल उलझे होते हैं जिन्हें सुलझाना हमारा दायित्व है। कलमकार विजय कनौजिया जी कहते हैं कि तुम्हे मुस्कान देने के लिए आज फिर से मनाऊंगा।
वजह फिर मुस्कुराने की
कोई मिल जाए जीवन में
तो रोना भूलकर मैं भी
आज फिर मुस्कुराउंगा..।।मिले सच्चा कोई साथी
निभाए साथ मेरा वो
मानकर मीत मैं उसको
साथ हर पल निभाउंगा..।।करे वादा कोई मुझसे
नहीं मुझको रुलाएगा
करूं संकल्प मैं भी फिर
उसे हर पल हसाउंगा..।।समर्पण भौरों जैसा हो
पुष्पों पर इतराने जैसा
समर्पित प्रेम में होकर
गीत मैं गुन-गुनाउंगा..।।आज अभिलाषा हो पूरी
अगर हो आगमन उनका
भूलकर हर गिला-शिकवा
आज फिर से मनाऊंगा..।।
आज फिर से मनाऊंगा..।।~ विजय कनौजिया
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