अब तो आश्चर्य नहीं होता, जब दामन कोई छोड़ जाए।
पल भर में सदियों का रिश्ता, दिल से कोई तोड़ जाए।।
हमने तो देखा है अक्सर, लोगों को जो वादे नहीं निभाए।
अब तो दर्द नहीं होता, जब बीच सफर में कोई छोड़ जाए।।
इस रंग बदलती दुनियाँ से, अब तो गिरगिट भी शरमाए।
अब तो यकीन नहीं होता, चाहे अमृत कोई घोल पिलाए।।
स्वार्थमयी दुनियाँ में, बिन मतलब के कोई न प्रीति लगाए।
रस चूस कर भंवरा भी, अब पुष्प छोड़ कर उड़ जाए।।
औरों के दुःख देख कर, भला कोई आँसू क्यों बहाए।
करते हैं सब स्वार्थ की बातें, सच्ची राह न कोई दिखाए।।
बने सभी सुख दुःख के सहभागी, काश वो दिन आजाए।
न गिला शिकवा कोई हो, बस प्यार के पुष्प खिल जाए।।
~ अमित मिश्रा