मैं साहिल वो किनारा

मैं साहिल वो किनारा

शिल्पा मिश्रा ने अपनी पंक्तियों में उसे किनारा और स्वयं को साहिल बताकर संबोधित किया है। शिल्पा मिश्रा का आशय है कि दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं।

जैसे तैसे हमने अपनी ज़िन्दगी को गुज़ारा है,
फिर जा के किसी ने हमारी ज़िन्दगी को सवारा है।

 

आकर इस ज़िन्दगी में उसने सारे रंग बिखेरा है,
हरदम उसी के ख्यालो ने मुझको घेरा है।

 

जबसे लिया मैंने उसके संग सात फेरा है,
तबसे मैं सिर्फ उसकी और वो सिर्फ मेरा है।

 

अगर मैं साहिल तो वो मेरा किनारा है।

 

~ शिल्पा मिश्रा

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है। https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/355695212004324

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