यादें पुरानी हो जातीं हैं किन्तु पीछा नहीं छोड़तीं। हम भूलाना तो चाहते हैं लेकिन कई कड़ियाँ एक दूसरे से जुड़ी होती हैं और यह कोशिश निरर्थक सिद्ध होती है। अमित मिश्र की स्वरचित पंक्तियों में पुरानी यादों की एक झलक है।
दिल में है समुन्दर आखों में पानी है।
बीते हुए लम्हों की कुछ यादें पुरानी है।।
आखों से टपके आंसू उसे छिपानी है।
गुजर हुए पल की कुछ यादें मिटानी है।।
तुम सोच रहे होगे ये कैसी कहानी है।
दिल में है समुन्दर आखों में पानी है।।
शीशे के दीवारों पर पत्थर तू चलाई है।
टूटे हुए हर टुकड़े में तस्वीर मेरी पाई है।।
दिल आम नहीं सह सकता लंबी तन्हाई।
गैरो के ठोकर से तुझे याद मेरी आई।।
टूटे हुए ख्वाबों की मेरी लंबी कहानी है।
दिल में है समुन्दर आखों में पानी है।।
तेरे दिल के आँगन में मेरी परछाईं है।
इस तन्हा मौसम में तू गीत मेरी गाई है।।
खाकर ठोकर दिल पर प्रीति निभाई है।
जीवन भर सुलगे जो वो आग लगाई है।।
कुछ नसीब का खेल कुछ तेरी नादानी है।
दिल में है समुन्दर आखों में पानी है।।
~ अमित मिश्रा