मारवाड़ के रक्षक वीर दुर्गादास राठौड़, जिनका नाम सुन औरंगज़ेब के भी पसीने छूट जाते थे। स्वाभिमानी दुर्गादास एक महान योद्धा थे जिनकी बहादुरी जग जाहिर है, कवि मुकेश अमन ने उनके सम्मान में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं; आप भी पढ़ें।
स्वाभिमानी, वीर त्यागी,
वीर दुर्गादास वीर दुर्गादास।
नभ का सूरज, वो विरागी,
वीर दुर्गादास, वीर दुर्गादास।
त्याग का था वह हिमालय,
जिसने सब कुछ छोड़ डाला।
कर दिया उसको समर्पित,
वक्त को उसने संभाला।
वीर दुर्गादास ..।
वक्त के उस दौर में भी,
ना कभी रजपूती भूली।
मुगलों के आगे कभी ना,
ना गुलामी की कबूली,
वीर दुर्गादास ..।
प्रण लें रण के रथ चढ़ा वो,
साहस, बल पल-पल बढ़ा वो।
ना रूका वो, ना झूका वो ,
मौत के सिर जा चढ़ा वो,
वीर दुर्गादास ..।
वक्त की धारा बदल दी,
सत्ता की सत्ता पलट दी।
अपने दम पर, वीर ने तो,
पूरी बाजी फिर उलट दी,
वीर दुर्गादास ..।
मारवाड़ी मान को,
उसने बचाया खूब लड़कर।
जीत कर लाए अजित,
मुगलों के सीने पर अकड़कर
वीर दुर्गादास ..।
बादलों में बिजलियों के,
घर हुआ करते नहीं है।
तोड़ देते वो अरि दल,
वीर यूँ डरते नहीं है,
वीर दुर्गादास ..।
वीर दुर्गादास, वीर दुर्गादास,
वीर दुर्गादास, वीर दुर्गादास।
~ मुकेश बोहरा ‘अमन’
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