घर में किसी नए सदस्य का आना मन को आनंदित करता है। कलमकार भवदीप ने ‘नन्ही परी’ कविता में अपने कुछ भावों को सिमेटने का प्रयास किया है। नवजात के आने पर बधाई और शुभकामनाओं के बीच सभी हर्षोल्लासित हो उठते हैं
एक शक्ति थी, अदृश्य-सी, अतुल्य सी,
उसकी मौजूदगी का आभास सबको था,
उसके होने का अहसास सिर्फ़ माँ को था।
नौ मास बाद वह दृश्य दे गयी,
एक साथ सबको प्रफुल्लित कर गयी।
छोटी-छोटी आँखों से मारे टिमकारी,
छोटे से मुंह से गूँजी है किलकारी,
छोटे छोटे हाथ पैर से नापे दुनिया सारी।
सीने से लगा-लगा कर स्वागत किया सबने,
झपक-झपक कर पलके, आभार किया उसने।
उतावला बहुत हूँ उसके दीदार का,
उठाकर गोद में चक्कर काटूँगा गाँव का।
सबका बचपन वह वापस है लायी,
मेरे घर में एक “नन्ही परी” है आई।
– भवदीप
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