जीवन में पिता का योगदान कोई भी संतान नहीं भूल पाती है।
कुमार किशन कीर्ति ने पिता के लिए कुछ भावुक पंक्तियाँ लिखी हैं, आप भी पढें।
पिता के बारें में क्या लिखूँ?
बस इतना ही जानता हूँ मैं
ईश्वर की पूजा मैं नहीं करूँ,
लेकिन पिता की पूजा करता हूँ।
कुटुम्बों के पालन में पिता जो त्याग करते हैं
उनके उपकारों को हम क्या?
देवगण भी नहीं चुका सकते हैं
प्रेम और अनुशासन के प्रतीक होते हैं पिता
अपने बच्चों में ही तो अपना प्रतिबिम्ब देखते हैं पिता
एक पिता का कुटुम्ब ही उनका संसार होता हैं
जिसके लिए प्यार उनकी आँखों मे नजर आता है
पिता तो उस वृक्ष के समान होते हैं,
जो आतप, शीत, वर्षा सहकर
अपनी कुटुम्बों की रक्षा करते हैं
पिता की एक आशीष से दुर्गुण भाग जाते हैं,
और पिता की चरणों मे ही तो चारों धाम पाए जाते हैं
~ कुमार किशन कीर्ति
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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