बहुत सारे सवालों का जवाब खामोशी होती है जिसे लोग पसंद नहीं करते। रज़ा इलाही भी खामोशी का जिक्र करते हैं जो प्यार और जुदाई से नाता रखती है।
न किसी से मेरा हिसाब है
न कोई अब मेरा ख़्वाब हैबिछड़ते वक़्त तो सवाल था
ख़ामोशी अब मेरा जवाब हैगुम हूँ उसी के गुमाँ मैं
जो मेरा क़दह-ए-शराब हैरहता हूँ जिस सफर में
वह मेरा गश्त-ए-कोहसार हैवो भूल गये कोई गुनाह नहीं
मुझे याद, यह मेरा सवाब हैइस पेच-ओ-ताब-ए-शौक़ में
दीवाना जो अब मेरा ख़िताब है~ रज़ा इलाही
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bichhadte = parting; gumaan = doubt, distrust; qadah-e-sharab = goblet of wine; safar = journey; gasht-e-kohsaar = moving around mountains; gunaah = sin; savaab = reward of good deeds; pech-o-taab-e-shauq = twists and turn of love; khitaab = title
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