हैवानियत की खिलाफत

हैवानियत की खिलाफत

समाज में आपराधिक तत्वों के बढ़ते कदम मानवता को शर्मशार कर रहें हैं। हैदराबाद में महिला वेटनरी डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद हत्या और फिर लाश को जला देने की घटना महिला सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ी करती है। इस घटना से आहत होकर इरफ़ान आब्दी ने अपने विचार और दुख इन पंक्तियों में व्यक्त किए हैं। हर दिन उनकी दरिंदगी समाज में एक भीषण बीमारी की जगह ले रही है जिसका इलाज़ करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है।

इस देश की रेड्डी बेटी से ये किसने शरारत कर डाली
तुम ठहरे मुहाफिज देश के थे ये कैसी हिफाज़त कर डाली

ये देश तुम्हारा घर भी है इस घर में तुम्हारी बहनें हैं
राखी जो तुम्हें कल बांधेगी उस से ही बगावत कर डाली

आसान नहीं था हैवां का इंसा शिकारी बन जाना
ये सच है हमारे हाकिम ने इन सब पे इनायत कर डाली

दंगे तो कभी मंदिर, मस्जिद,भगवान,खुदा तो राम ,अली
इन सब को सियासत में लाकर मज़हब से सियासत कर डाली

बेटी को पढ़ाना नारा था बेटी को बचाना वादा था
ये कैसी वफा की आपने जो इज्ज़त की तिजारत कर डाली

औरत है यहां की ज़ीनत तो औरत की वजह से तुम सब हो
एक लड़की कहां मारा तुमने नस्लों की हलाकत कर डाली

रोने को बहुत दिल करता है जब से ये सुना इरफान ने है
ज़िंदा ही जलाने की उसको सरे आम जसारत कर डाली

~ इरफ़ान आब्दी ग़ाज़ीपुरी (मांटवी)

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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