भारतीय होने पर हम गौरवान्वित महसूस करते हैं, देश की विविधता और एकता एक मिशाल है। कलमकार शुभम ने अपने मन की बात एक गीत में कही है, वे लिखते हैं – गीत मैं गाता हूँ।
गीत मैं गाता हूँ,
मन की व्यथा सुनाता हूँ,
अपने संग मैं अपने,
देश की गाथा गाता हूँ।धन्य हुआ मैं जो,
देश में इस जन्म लिया,
अमर हुआ मैं जो,
इस मिट्टी का स्पर्श हुआ।पवित्र भारत भूमि का,
साथ मिला मुझको जो,
प्रेरणा और उत्साह भरा मन में,
इतिहास पढ़ा जब इसका।भूत भी गौरवशाली था,
इसका वर्तमान तो है ही,
भविष्य हमारे हाथों होगा,
इसकी रक्षा हमको करना होगा।हम प्रण लेते हैं अब,
प्रकृति की रक्षा अब,
संस्कृति की रक्षा अब,
हमको ही करना है अब।~ शुभम द्विवेदी
हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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