कलमकार खेम चन्द ने कुछ खयालात पंक्तिबद्ध तरीके से प्रस्तुत किए हैं- यह ऐसे माहौल को रेखांकित करते हैं जो जीवन में हम सभी अनुभव करते हैं।
नज़दिकियां रही या कोई अफ़साना रहा होगा
हमारी जिन्दगी की मुलाकातों का भी ठिकाना रहा होगा॥
वो मिलते और दास्तां सुनाते कोई तो याराना रहा होगा
आ पूछ ले खुद खुदी की नज़रों में तेरे ईश्क का कोई बहाना रहा होगाा॥
वो मुस्कुराती नज़रों से लबों पर सवाल लाने लगे
जब नबिज़ से हम्म बेखबर हो जाने लगे॥
गौर से सुना होता वो दर्द ए बयां हमारे कब किसको सुनाने लगा
वो गैर था शायद पास मेरे जो किसी और को लफ्ज़ बनाने लगा॥
आबाद रहे हस्तियां तुम्हारी
वो तो खुद का आशियाना जलाने लगा॥
रूक तो जाते रस्ते पर तुम कहीं
हमने कहा भी था कि वक्त आने लगा॥
मिलो और ना मिलो ये कमी अहसासों की है
तुम किसे ढूढंते फिर रहे हो ये कमी लिवासों की हैं॥
हताश है पतझड़ में वो टिके हुये दो डाल
ना जाने कब जाने कोई उनका हाल॥~ खेम चन्द
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