हितकारी और उचित सलाह जो कोई भी दे उसे मानना ही चाहिए। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी कहते हैं नेक सलाह न मानने वालों का अंजाम अच्छा नहीं होता, उदाहरणार्थ- महाभारत में दुर्योधन का अंत।
सलाह श्रीकृष्ण ने भी दुर्योधन को हस्तिनापुर की राजसभा में दिया था।
परन्तु दुष्ट दुर्योधन ने वह नेक सलाह कहाँ ।
महाभारत जैसी विभिषिका का परदायी कौन बना?
अबला द्रोपदी की श्राप किन पीढ़ियों को भोगनी पड़ी।
शत बंधुओ को भी इस अभिशाप से क्यों न बचा पाया दुर्योधन।
दानी कर्ण को भी निहत्था अपने प्राण गवाने पड़े।
कर्ण भी अभिमान वश मित्र दुर्योधन को कहाँ परामर्श दिया।
जिससे मानवता का यह संत्रास मिटाया जा सके।
सलाह न मानने का यह दुष्परिणाम मानवता को भुगतना ही पड़ता है।
वरना मानवता नि:संदेह वरदान प्राप्त कर सकती है।
सलाह में संरक्षण छिपा रहता है, जो अनिष्ट होने से भुवन बचाती है।~ डॉ कन्हैया लाल गुप्त ‘शिक्षक’
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