गांव बेच दिया

गांव बेच दिया

फायदे के लिए इंसानों ने प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है लेकिन आज वह खुद अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। कलमकार आशुतोष सिंह ने ‘गांव बेच दिया’ कविता में कई समस्याओं का उल्लेख किया है।

प्राकृत से जुड़ा हुआ।
गांव बेच कर शहर खरीदा अब रहने से ड़रते क्यों?
पेड़ बेच कर प्यूरीफायर खरीदा फिर ऑक्सीजन की चिंता क्यों?
कुआं बेच कर आर• ओ• खरीदा फिर भी बीमारी से डरते क्यों?
झोपड़ी बेच के महल खरीदा फिर भी इसमें रहते नहीं क्यों?

जीवन से जुड़ा हुआ।
बेटा बेच कर बहु खरीदा अब बेटे की चिंता क्यों?
रिश्ते बेच कर पैसा कमाया फिर रिश्तों का मोह भला क्यों?
जीवन बेच कर धन जुटाया, अब छूट जाने की संसा क्यों?
सुकून बेच कर कष्ट खरीदा अब सहने से ड़रते क्यों?

– आशुतोष धनराज सिंह

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
https://www.facebook.com/hindibolindia/posts/449574832616361

Post Code: #SWARACHIT260

Leave a Reply


The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.