क्या यह साल सचमुच बदलेगा? बदलने से तात्पर्य है कि क्या इस साल समस्याएँ, बदहाली, नीयत, कर्तव्य आदि भी बदलेंगे? कलमकार अजय प्रसाद जी इस साल के लिए कुछ सवाल कर रहे हैं और जवाब की उम्मीद करते हैं।
सुन रहा हूँ कि ये साल बदलेगा
मगर क्या ये सूरते हाल बदलेगा?क्या महफूज़ रहेंगी बेटियाँ बाहर?
क्या भेड़िया अपनी चाल बदलेगा?क्या खरे उतरेंगे नेता अपने वादों पे?
लोक तंत्र के लिए भी काल बदलेगा?मसले, फैसले, जुमले सब सही होंगे ?
बेरोजगारों के लिए सवाल बदलेगा?कृषकों और श्रमिकों, को मिलेगा न्याय
जनता के लिए चुनावी जाल बदलेगा?जातीय फूट, मजहबी लूट, नेताओं के झूठ
और हड़ताल के नाम पे वबाल बदलेगा?साल दर साल जो है तेरे दिल में अजय
या खुदा! क्या इस बार मलाल बदलेगा?~ अजय प्रसाद
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