चिंगारी

चिंगारी

राष्ट्र की शान और गरिमा पर कोई बात/सवाल/हमला सामने आए तो हर भारतीय उसका जवाब भलीभांति देगा। सभी भारतीय के हृदय में चिंगारी है और हम वतन पर कोई आँच नहीं आने देंगे- कलमकार आशुतोष सिंह की यह कविता पढें।

बातों के गर्जन से डर गए, ये अभी उठी चिंगारी है
लहरों में चलने से डर गए, अभी मुसीबत भारी है।
हमकों तू आंख दिखता क्या हैं, हम वीर सपूतों के वंसज हैं,
धधकती आग से खेलने वालें, भविष्य के हम निसंजन हैं।
बातों के गर्जन से डर गए, ये अभी उठी चिंगारी है

बुझी आग से डरने वाले, हमकों तू आँख दिखता है।
पीठ वार करके तू अपने कों वीर बताता है।
चिंगारी का खेल बुरा होता हैं, तुझकों अभी समझना होगा।
अपने पे आ गए अगर हम, तो तुझकों धूल चटायेंगे।
घर में तेरे घुस कर भी हम तुझकों मज़ा चखाएंगे।

~ आशुतोष धनराज सिंह

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