जब आप अकेला महसूस कर रहें हो तो सोचिए कि ईश्वर संग है और आप अकेले नहीं हो। कलमकार राजीव डोगरा की यह कविता अकेलापन दूर करने में सहायक है।
अकेलापन
बहुत अकेला हूं
वीरान हूं और तन्हा हूँ।
मगर फिर भी खुदा
तेरी मैं पहचान हूं।बहुत खामोश हूं
गुमनाम हूं गुमसुम हूं
मगर फिर भी
मैं तेरी आवाज हूं।भटकता हूं कभी मन से
कभी तन से कभी आत्मा से
मगर फिर भी एक टक
स्थिर हूँ तेरी याद में।कभी रोता हूं
कभी हंसता हूं
कभी मुस्कुराता हूं
मगर फिर भी
बैठ तनहाई में
तुम से ही दिल लगाता हूं।~ राजीव डोगरा
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