कलमकार उमा पाटनी लिखतीं हैं की धैर्य हमेशा सफलता और शांति का परिचायक होता है। अक्सर हर छोटी-बड़ी दिक्कत से हम अपना आपा को जाते हैं, किन्तु यदि धीरज धरें तो सारे कार्य कुशलतापूर्वक संपन्न हो जातें हैं.
वेदना की छटपटाहट
स्मृतियों की बुदबुदाहट
आज पहलू में है बैठी
उलझनों की सरसराहटफेरती मुंह परछाइयाँ
उम्मीदों की रुसवाईयाँ
बैचेनियां उमड़ी हैं ऐसे
भीगी पलकों की स्याहियांखुशियों का वीरान जंगल
मुस्कुराहट भी है ओझल
ख्वाब देखो छल रहे हैं
आंसुओं संग धुल रहे हैंसिसकियों का साथ लेके
ख्वाहिशें बेसुध सी देखें
उमड़ा है तूफान ऐसे
वक्त है परेशान जैसेनीर को बहने भी दो
अपनी व्यथा कहने भी दो
खंडहर इमारतों के
बोझ को ढहने भी दोएक किरण झिलमिलाती हुई
रोशन तुम्हें कर जायेगी
खुशियों की चाबी तुम्हारी
फिर मुट्ठी में आयेगी~ उमा पाटनी ‘अवनि’