चितवन

चितवन

उसकी मनमोहक सूरत सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है, उसकी दृष्टि जिसपर पड़ जाए वह निहाल हो जाता है। श्याम सुन्दर की एक बेहतरीन स्तुति कलमकार रमाकान्त शरण जी ने लिखी है, आप भी पढें।

हे मुरलीधर हे गोपाला, तुम तो हो करुणा-सागर,
कैसे करूँ वर्णन केशव, तुम सभी गुणों के हो आगर।
माता देवकी तेरी है, है यशोदा भी तेरी मैया,
पिता हैं तेरे वसुदेव, हो नन्दलाल भी तुम ही कन्हैया।
साँवरी-सूरत मोहनी-मूरत, माथे मणि मोर मुकुट धारी,
कारे कजरारे नैन तेरे, जिसकी चितवन अतिशय प्यारी।
राधिका बाबरी रहती थी, तेरी नज़र और मुरलीधुन की,
मदहोश गोपियाँ भी होतीं, पाकर मय तेरे चितवन की।
कान्हां तेरे चितवन की, दुनियाँ दीवानी है,
अजब तेरी लीला है, तेरी गज़ब कहानी है।
जिसने भी पुकार करी, विपदा तूने उसकी हरी,
चितवन तेरी मुझपे पड़े, है नाथ! आश मेरी।

~ रमाकान्त शरण

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।
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