माँ के बिना

माँ के बिना

माँ की कमी तो कोई भी नहीं पूरी कर सकता है। हम सभी माँ के ऋणी होते हैं और यह भाव सदैव प्रकट करना चाहिए कि माँ हम आपके उपकारों का ऋण नहीं चुका पाएँगें। कलमकार राज शर्मा की कविता पढ़ें जो लिखते हैं कि माँ के बिना सारी खुशियाँ अधूरी होती हैं और अपने मन की बात किसे कहें जब माँ जीवन में न हो।

पृथा सा अस्तित्व लिये
एनम सदृश बेदाग
चरित्र जिसका
हर दिन की खुशियाँ
अधूरी माँ के बिना।

है विधाता का साकार रूप
न अचल अडिग रहा कोई
संकट में पहाड़ सा प्रतिरूप
हर दिन की खुशियाँ
अधूरी माँ के बिना।

इश का सृजन अधर तुम बिन
स्वयं धरा अवतरे माँ संग लिये
लीला की वैभवता उकेरे
हर दिन की खुशियां
अधूरी माँ के बिना।

~ राज शर्मा

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