कोरोना रक्षक के हौसलों को तोड़ते ये सिरफिरे।
देश के लिए नासूर बनते जाते ये सिरफिरे,
इनकी कोई जाति नहीं, इनका कोई धर्म नहीं,
जाति धर्म के नाम पर धब्बा लगाते ये सिरफिरे।
दवा इलाज का बचाव का ईनाम ईट पत्थरों से देते ये सिरफिरे।
किसी देश के नाम पर बदनुमा दाग है ये सिरफिरे।
इन्हें तहज़ीब, शिक्षा, धर्म की कोई परवाह नहीं,
देश काल परिस्थितियों का कोई वास्ता नहीं रखते ये सिरफिरे।
कैसे बचेगी मानवता, कैसे बचेगा धर्मों ईमान,
इन्हें तार तार करते, ये सिरफिरे।
~ डॉ कन्हैया लाल गुप्त किशन