कभी-कभी कई सारी चीजें अनायास ही घटित हो जातीं हैं। सपने में हम बहुत कुछ अनायास ही देख लिया करते हैं। कलमकार स्वाति बर्णवाल ने अपनी कविता में इसका जिक्र किया है।
सपनों में जब भी तुम आते हो
तुम्हारे साथ साथ चली आती है
अनायास ही कोई एक कविता
तब मैं निकल जाती हूं बहुत दूर
किसी हरे भरे सुंदरवन में,
खोज लाती हूं दुर्लभ अलंकार
लुप्तप्राय छंदन और सार्थक शब्दों को
अनायास ही भर लेती हूं चंद पंक्तियां
अपनी मन मस्तिष्क की मटकी में,
एक लम्बी आह के साथ आती है
चार हकीकत उठाती है मन की मटकी
अनायास ही तोड़ आती है सुबह तक
किसी नदी के सुनसान घाट पर।~ स्वाति बर्नवाल