कलमकर डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘किशन’ नारी की महानता और अनेक रूपों को अपनी कविता में रेखांकित किया है। सचमुच वे महान हैं, आओं हम इनका अभिनंदन करें।
जिसने नर को जना, जिसने ममता है पायी।
जिसके आँचल तले ही जिन्दगी मुस्कुरायी।
जिसके अमृत सा दुग्ध को पान करके हम।
जिसकी ममता की छाँव में शिक्षा जो पायी।
आज नारी की दशा दुर्दशा में बदल गयी है।
कहीं जलती है नारी, कहीं मरती है नारी।
कभी अपने जन्म पर ही बिफरती है नारी।
आज नर ने जो उसका ये हश्र जो किया है।
आज कोख में ही अपने बिलखती है नारी।
कभी वेदों की रचना जो करती थी नारी।
कभी शासन भी तो संभालती थी नारी।
कभी लक्ष्मीबाई, कभी जीजाबाई तो कभी
मीराबाई रुप में दिखाई देती है नारी।
कभी राधा बनी तो कभी सीता बनी।
कभी दुर्गा बनी तो कभी काली बनी।
इस सृष्टि की रचना में साधक बनी।
कभी धरती की नारी, कभी जिंदगी सँवारी।
आज आओं हम इसका तो वंदन करें।
अपने जीवन में शामिल कर अभिनंदन करें~ डॉ कन्हैया लाल गुप्त ‘किशन’
Post Code: #SWARACHIT504