बहुत सारी ऐसी जोड़ियाँ हैं जो एक दूसरे के बिना अधूरी हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी ने कुछ जोड़ियों का वर्णन अपनी कविता में किया है।
फूल से शबनम जुदा नहीं होती।
आकाश से तारें गुम नहीं होते।
जल से शीतलता दूर नहीं होती।
माँ से वत्सलता दूर नहीं होती।
गगन से सूरज दूर नहीं होता।
भगवान से भक्त दूर नहीं होते।
प्रेमी प्रेमिका से दूर नहीं होते।
मित्र मित्र से कभी दूर नहीं होते।
पवन से गति कभी दूर नहीं होती।
दीपक से लौ कभी दूर नहीं होती।
साजन से गोरी कभी दूर नहीं होती।
विद्यार्थी से विनम्रता दूर नहीं होती।
कुत्ते से वफादारी कभी दूर नहीं होती।
मायके से बेटी कभी दूर नहीं होती।~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘शिक्षक’
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