आपके चरित्र के निर्माण में व्यवहार की बहुत बड़ी भूमिका होती है। उत्तम व्यवहार होने से आप किसी का अहित नहीं करते और सभी को आप प्रिय होते हैं। कलमकार कन्हैया लाल गुप्त जी व्यवहार के बारे में यह कविता साझा की है।
व्यवहार व्यक्ति का चरित्र प्रदर्शित करता है।
व्यक्ति के व्यवहार से ही व्यक्ति की पहचान है।
व्यक्ति में कितने गुण है कितना अनुकरण है।
यह व्यक्ति का व्यवहार ही बतलाता है क्या है।
दुर्योधन ने भरी सभा में कृष्ण से जैसे व्यवहार किया।
तो भगवान कृष्ण ने भरी सभा में अपना विराट रुप दिखाया।
विदुर ने भी अपने व्यवहार का परिचय आमंत्रण देकर दिया।
दानी कर्ण का व्यवहार बहुत सुहाता है प्रिय जनों को।
राम का व्यवहार उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम बनाता है।
कृष्ण अपने व्यवहार से गोपियों ग्वालों को रिझाते है।
राधा अपने व्यवहार से गोपियों में नायिका बन जाती है।~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘शिक्षक’
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