चलो गुनगुनाएं, कोई गीत गाएं

चलो गुनगुनाएं, कोई गीत गाएं

जीवन के उथल-पुथल में हम बहुत सारी तकलीफें सहते हैं, लेकिन हंसी खुशी हर पल आगे बढ़ते रहते हैं। कवि मुकेश अमन लिखते हैं कि दिलों के बीच की दूरियां मिटाकर हमें खुशी के गीत गुनगुनाना चाहिए।

चलो गुनगुनाएं, कोई गीत गाएं ।
संगीत सरगम, चलो मीत गाएं ।।

सुर ताल साथी, नही है जरूरी।
जरूरी है मिटना, दिल बिच की दूरी।।
बस प्यार से ही सब हो लबालब,
हम प्रीत बांटे, और प्रीत पाएं।
संगीत सरगम, चलो मीत गाएं।।

मीठी हो वाणी, मधुर और मधुर हो।
कोयल की कूहकूह, इधर और उधर हो।।
मानव की वाणी में फिर से पुनः अब,
न गाया गया जो, वो संगीत आएं।
संगीत सरगम, चलो मीत गाएं।।

बुराई का कल भी, हमेशा बुरा है।
भलाई से ही तो, हर चैक पुरा है।।
मानव के दिल से, हमेशा-हमेशा,
बुराई, बुरा है, वो बीत जाएं।
संगीत सरगम, चलो मीत गाएं।।

चैनों-अमन का, अपना मजा है ।
संसार खुशियों का, सपना सजा है।।
चाहे जगत में, बस हार हो हासिल,
लेकिन दिलों को, अमन जीत जाएं।
संगीत सरगम, चलो मीत गाएं।।

~ मुकेश बोहरा ‘अमन’

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