महिला दिवस विशेष
अनिरूद्ध तिवारी की कविता: तू कृष्ण की राधारानी भी
तुम धरा हो, आकाश भी
तू भोर का प्रकाश भीतू कोमल है तू इश्क भी
तू कठोर है तू अश्क भीतू समाज भी परिवार भी
तू आंगन है, घर द्वार भीतू हौसला सम्मान भी
तू मर्यादा है पहचान भीतू माता है बहन भी
तू रिश्ते का बंधन भीतू मोहब्बत है तू मुहूर्त भी
तू ममता की सुंदर सूरत भीतू चांद है तू तारा भी
तू बहती जल की धारा भीतू दुर्गा भी महारानी भी
तू कृष्ण की राधारानी भी~ अनिरुद्ध तिवारी
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