अज्ञान

अज्ञान

ज्ञान से ही अज्ञानता पर विजय प्राप्त की जा सकती है। कलमकार डॉ. कन्हैया लाल गुप्त द्वारा रचित एक कविता पढ़िए और अज्ञानता के पर्दों को हटाने का प्रयास करें।

ज्ञान का प्रकाश प्रकाशित होते ही अज्ञान मिट जाता है।
जैसे बारिश होते ही आकाश से धुंधकोहरे छँट जाते हैं।
जैसे सूर्य निकलते है बाग उपवन में पुष्प खिल जाते है।
माँ की मधुर लोरी सुन अबोध बालक निद्रा पा जाता है।
कृष्ण की बंशी पर गोपियाँ काम धाम छोड़ आती है।
दु:स्वप्न में पड़ा मनुष्य जागकर यथार्थ का ज्ञान पाता है।
अज्ञानी होना बुरा नहीं, ज्ञान का गरूर होना बुरा है।
अज्ञानता का निवारण ज्ञान प्राप्ति पर ही बुद्ध बनाती है।

~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘ किशन ‘

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