दिल मेरा बाग बाग हुआ है

दिल मेरा बाग बाग हुआ है

निर्भया के मामले पर अपराधियों को मिली सजा पर सभी के मन में खुशी और न्याय के प्रति आदर उतपन्न हुआ है। कलमकार मनीषा प्रसाद ने इस खुशी को जाहिर करने के लिए यह कविता लिखी है।

जी उठी निर्भया की मां
अपनी बच्ची को इंसाफ दिलाकर
एक तड़पती रूह को,
न्याय का मुकाम दिलाकर
मिली तृप्ति उस आत्मा को,
जिसने इस दिन का इंतजार किया है।
देख उस मां की मेहनत आज,
अन्याय फिर से हार गया है।
सात साल बाद सही
उनके कुकर्मों को अंजाम मिला है।
देश की हर बेटी को आज,
अधिकारों का इंसाफ मिला है।
देख आज का नया सवेरा
दिल मेरा बाग बाग हुआ है,
दिल मेरा बाग बाग हुआ है।

~ मनीषा प्रसाद

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