कभी हकीकत कभी फसाना

कभी हकीकत कभी फसाना

कलमकार क्षमा दूबे भी वैश्विक महामारी कोरोना वयरास से चिंतित होकर इन पंक्तियों में सावधानी, सुरक्षा और बचाव की बातें बताईं हैं।

रोते-रोते है मुस्काना, दुख है तो खुशियों का आना!
निश्चित है निशान्तर प्रभा, तय है धूपान्तर में छाया!!

यह विषम परिस्थिति के उपरान्त निश्चित है सबका सम होना!
आया है तो जाना इसको भी है यह वैश्विक आपदा कोरोना!!

थम गया वक्त का रफतार है अर्थव्यवस्था की भी मार है!
गिनती के साथ बढ़ रही यहाँ जो वैक्सिन की इसकी खोज है!!

वर्तमान समय चाहे बस यही दिखलाओ सब अपनी एकता!
रखो दुरी आपस में लेकिन इस मुश्किल से मिल सब लड़ना!!

सहयोग डाक्टरों को भी चहिए अफवाह कृपया न फैलाओ!
जागरूक रहो इस मसले को तुम धर्म के नाम न उलझाओ!!

~ क्षमा दूबे

Post Code: #SWARCHIT525D

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