आज अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस (World Theatre Day) है और इस अवसर पर कलमकार राज शर्मा की यह कविता पढें।
दुनिया एक रंग मंच है पात्र हरेक,
रचे किरदार सब देखो अलग-अलग।सभी पड़ाव से गुजरती जिंदगी,
न जाने कब कौन सा रंग दिखाए।गिरगिट से आगे बढ़ गया आदमी,
बिना रंग के कमाल की अदाकारी।गुजर गई जिंदगी सिमटा सपनों में
फिर भी हरेक अभिनय रहा अधूरा।है रंगमंच का प्रादुर्भाव हिन्द देश में
नाट्य के सब रूप रंग इसी भूमि में।~ राज शर्मा