जीवन में कुछ लोग इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि उनकी कमी हमें बेचैन कर दिया करती है। कलमकार लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव जी ने इस बात को अपनी रचना में संबोधित किया है।
तुम बिन प्रिय मैं रहता हूँ उदास,
तुम बसती हो मेरे दिल के पास।
कभी तो होगा साथ आशियाना,
तुम्हारे प्रीत पर है मुझे विश्वास।।तुम मुझे चाहती, यह है एहसास,
आकर मेरा हाल तू देखती काश।
प्रीत में तुम दर्द देकर इतना मुझे,
दूर क्यूँ! चली गई हो अनायास।।तुम बिन जिंदगी न आ रही रास,
कितने बीतते जा रहे हैं मधुमास।
मेरे प्रेम में क्या कमी रही प्रियतम,
चाहने का दिल से किया प्रयास।।हमारे प्रेम को कहने लगे बकवास,
तुम आ जाओ जिंदगी हो सुवास।
मेरी उदासी का बन जाओ मरहम,
मुझे भी हो तेरे प्रेम का आभास।।तुम मेरी धड़कन तुम हो मेरी सांस,
बिन तुम्हारे जीवन है मेरा निराश।
आकर बस जा अब मेरी जिंदगी में,
लोग करते मेरे जीवन का परिहास।।~ लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव