हे सृष्टि के प्रथम दिवस!
नववर्ष तुम्हारा स्वागत है
बीत गया है वर्ष पुराना
नूतन की तैयारी है
जो बीता जैसा बीता
स्वर्ण समय की बारी है
मातृभूमि हमारी भगवन,
जग में निर्मल परिभाषित है
नव वर्ष तुम्हारा..
मन को दृढ़ निश्चय कर
आशाओं का संकल्प करें
प्रथम दिवस की प्रथम किरण
प्रगति मार्ग को प्रशस्त करें।
सृष्टि के कल्याण हेतु,
दीपक एक प्रज्वलित है
नववर्ष तुम्हारा..
खण्डित करने को आतुर हैं
कुछ बाह्य शक्तियां भारत को
कोरोना और आतंकवाद
दे रहा चुनौती ताकत को
दुष्टों का संहार करें!
नव सर्जन की अभिलाषा है
नव वर्ष तुम्हारा..
लेकर अपना नवल प्रभात
लेकर अपना मधुमय ललाट
बीज मंत्र से छा जाओ
हे मानव के उर सम्राट
हम स्वागत क्रम में प्रस्तुत हैं,
थाली पुष्प नैवेद्य युक्त है
नव वर्ष तुम्हारा..
हम श्वेत कबूतर के पोषक
हम मानवता के अनुयायी हैं
हम राम, कृष्ण की संतानें
गीता का चिर सन्देश सुनाते हैं
हो जाये वसुंधरा नन्दन वन,
माथे पर रोली, अछत है
नव वर्ष तुम्हारा..
~ बालभास्कर मिश्र