हमें अपनी चीज़ों से बहुत लगाव रहता है, कभी-कभी तो हम उनसे बात भी करते हैं। कलमकार मोनिका शर्मा भी अपने द्वारा लगाए गए एक पौधे का जिक्र अपनी कविता में कर रहीं हैं।
मेरा गेंदे का पौधा
वह मेरा गेंदे का पौधा
जिसे बड़े मन से से लगाया
रोज सुबह अपनी बालकनी में
मिलती उसे चाय की प्याली के साथ
करते हम बातें कहीं हजार
वह मेरा गेंदे का पौधा
मेरा हमराज है
मुझे देख वह खिलखिला ता है
उसे देख मिलती प्रेरणा मुझे
पतझड़, बारिश या बहार
सब मौसम में रहता एक समान
अपनी मंद गति से बढ़ता,
प्रगति की ओर
वह मेरा गेंदे का पौधा।~ मोनिका शर्मा मन