जगमगाया हिन्दुस्तान,
देवलोक है परेशान,
ये ये जगमग ज्योति कैसी है,
ये जगमग ज्योति कैसी है?
क्या विश्वगुरु भारत अब जाग गया है,
कोरोना जैसा रोग क्या भाग गया है,
कैसी ये शंख ध्वनि, कैसा नाद है,
सारा विश्व देख रहा कैसी फरियाद है,
जीवन को जगाने का आह्लाद है,
देवराज आओं, ग्रह, नक्षत्र आओं रे,
भारत यूँ सज रहा आखिर क्या बात है,
ईद न दिवाली है, बात ये निराली है,
एकसाथ कर रहे प्रार्थना दिवाली है,
बात सुझती नहीं, मार्ग दिखता नहीं,
महादेव भी कैलाश लखे, भीड़ ये तो भारी है,
शेषशयन कर रहे,
दृष्टि नमन कर रहे, भोला भण्डारी है,
ब्रह्मा जी भी देखते,
नारद से पूछते कैसी दिवाली है।
~ डॉ. कन्हैया लाल गुप्त ‘किशन’