लम्हा 

लम्हा 

ठहर थोड़ा अभी और तूँ सब्र रख
चमन होगा गुलजार फिर इत्मिनान रख।

नाव भले ही फँस गयी मझधार में
जिन्दा रहेगा बस अपना खयाल रख ।

बेशक कैद सी हो गयी जिन्दगी
इश्क का इम्तिहां है खुद पर यकीं रख।

शिकारी खड़ा बाहर कदम कदम पर
आगोश में जकड़ लेगा दरवाजा बंद रख।

जीया हर लम्हा सुकूं-ओ-चैन का
पी जाम सा प्रतिपल दरमियां में रख ।

~ जय हिन्द सिंह ‘हिन्द’

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